नागालैंड

केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने बनाई योजना, अब देशभर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर बनेंगे तीन सर्किट

Kunti Dhruw
26 Oct 2021 4:29 PM GMT
केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने बनाई योजना, अब देशभर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर बनेंगे तीन सर्किट
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रामायण और बुद्ध सर्किट के बाद अब सरकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस सर्किट (Netaji Subhash Chandra Bose Circuit) बनाने जा रही है।

रामायण और बुद्ध सर्किट के बाद अब सरकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस सर्किट (Netaji Subhash Chandra Bose Circuit) बनाने जा रही है। सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) से जुड़े स्थानों को दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। देशभर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) से जुड़े तीन सर्किट बनेंगे। पहला सर्किट दिल्ली-मेरठ-डलहौजी से सूरत तक होगा।

दूसरा कोलकाता से नागालैंड (Kolkata to Nagaland) के रुजज्हो गांव तक बनेगा। वहीं, कटक-कोलकाता से अंडमान तक बनेगा। इन सर्किट को रेल और हवाई मार्ग से भी जोड़ा जाएगा। उम्मीद है कि अगले साल जनवरी 2022 में तीनों सर्किट शुरू हो जाएंगे।
केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, देश नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125 वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है। अगले साल 23 जनवरी 2022 को बड़ा कार्यक्रम मनाने की तैयारी चल रही है। इसी मौके पर इन तीनों सर्किट को शुरू करना है। इसी के तहत नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े स्थानों को आपस में जोड़ा जाएगा, ताकि पर्यटकों के साथ युवाओं को उसकी जानकारी मिल सके।
देश के सभी स्कूल और कॉलेजों में 2022 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस पर आधारित कार्यक्रम आयोजित होगा। इसमें छात्र नेताजी और उनकी सेना जैसे कपड़े पहनेंगे। इस कार्यक्रम में कदम-कदम बढ़ाए जा (आईएनए मार्च सांग) गाना मुख्य रहेगा।
दिल्ली मेरठ-डलहौजी से सूरत
पर्यटकों को दिल्ली से पहले मेरठ के टाउन हाल और शहीद स्मारक से रूबरू करवाया जाएगा। यहां नेताजी 1940 में आजादी को लेकर भाषण दिए थे। इसके अलावा नेताजी से जुड़ी स्मृतियों व सामान को संग्रहालय में रखा जाएगा। टूर के अगले दिन मेरठ से डलहौजी (हिमाचल प्रदेश) सड़क मार्ग से 554 किलोमीटर ले जाया जाएगा। यहां पर्यटकों को कांस्य भवन में ले जाया जाएगा। नेताजी ने यहां सात महीने गुजारे थे। इसके बाद हवाईमार्ग से यात्री सूरत जाएंगे।
कोलकाता-रुजज्हो गांव नागालैंड
यहां पर्यटकों को नेताजी द्वारा तैयार भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) के बारे में जानने का मौका मिलेगा। कोलकाता से दीमापुर तक हवाई मार्ग से ले जाया जाएगा। इसके बाद 150 किमी दूर रुजज्हो तक सड़क मार्ग का सफर रहेगा। यहां पर आईएनए का मुख्यालय हुआ करता था। यहां पर नेताजी के घर भी है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मोइरांग भारतीय राष्ट्रीय सेना का मुख्यालय था। पहली बार भारतीय राष्ट्रीय सेना के कर्नल शौकत मलिक ने 14 अप्रैल 1944 को मोइरांग में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज भी फहराया था।
कटक कोलकाता-अंडमान
पर्यटकों को सबसे पहले कटक स्थित नेताजी के बचपन के घर जानकीनाथ भवन दिखाया जाएगा। यहां के संग्रहालय में नेताजी द्वारा लिखित 22 असली पत्र भी है। यह भुवनेश्वर से 32 किलोमीटर दूर है। इसके बाद नेताजी के स्कूल स्टीवार्ट ले जाया जाएगा। यहां 1902 से 1909 तक उन्होंने सातवीं कक्षा की पढ़ाई की थी। इसके बाद पर्यटकों को सीधे पोर्ट ब्लेयर ले जाया जाएगा। यहां नेताजी ने 1943 में तिरंगा फहराया था। तब जापान ने आजाद हिंद सरकार को यह सौंपा था। दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान ने इस पर कब्जा किया था।
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