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मेघालय में आज स्वतंत्रता सेनानी यू कियांग नांगबा श्रद्धांजलि दी जा रही है
मेघालय में आज स्वतंत्रता सेनानी यू कियांग नांगबा (Yu Qiang Nongba) श्रद्धांजलि दी जा रही है। राज्य के मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा (CM Conrad K. sangma) ने बड़े ही जोशीले अंदाज में श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आज हम जयंतिया हिल्स, मेघालय के वीर स्वतंत्रता सेनानी यू कियांग नांगबा की शहादत को श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए ब्रिटिश सेना के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया। उनकी वीरता की कहानियां हमारे दिलों में हमेशा अमर रहेंगी।
यू कियांग नोंगबा मेघालय के एक क्रान्तिकारी वीर थे। 18वीं शती में मेघालय की पहाड़ियों पर खासी और जयन्तियां जनजातियां (Khasi and Jaintia tribes ) स्वतन्त्र रूप से रहती थीं। इस क्षेत्र में आज के बांग्लादेश और सिल्चर के 30 छोटे-छोटे राज्य थे। इनमें से एक जयन्तियापुर (Jaintiapur) था।
अंग्रेजों ने जब जयन्तियापुर (Jaintiapur) पर हमला किया, तो उन्होंने 'फूट डालो और राज करो' की नीति के अन्तर्गत जयन्तियापुर को पहाड़ी और मैदानी भागों में बाँट दिया। इसी के साथ उन्होंने निर्धन वनवासियों को धर्मान्तरित करना भी प्रारम्भ किया।
राज्य के शासक ने भयवश इस विभाजन को मान लिया; पर जनता और मन्त्रिपरिषद ने इसे स्वीकार नहीं किया। उन्होंने राजा के बदले यू कियांग नोंगबा (Yu Qiang Nongba) को अपना नेता चुन लिया। यू कियांग नोंगबा ने जनजातीय वीरों की सेना बनाकर जोनोई की ओर बढ़ रहे अंग्रेजों का मुकाबला किया और उन्हें पराजित कर दिया।
यू कियांग नोंगबा (Yu Qiang Nongba)-
Today we pay tribute to the martyrdom of U Kiang Nangbah, the brave freedom fighter of Jaintia Hills, Meghalaya who led a rebellion against the British army to protect the rights of the people. Stories of his bravery will forever be etched in our hearts.@kishanreddybjp pic.twitter.com/e1LEdVlLLb
— Conrad Sangma (@SangmaConrad) December 30, 2021
यू कियांग नोंगबा एक श्रेष्ठ बाँसुरीवादक भी थे। वह वंशी की धुन के साथ लोकगीत गाते थे।
अंग्रेजों (British) ने कर वसूली के लिए कठोर उपाय अपनाने प्रारम्भ किये; पर यू कियांग नोंगबा के आह्नान पर किसी ने कर नहीं दिया। इस अंग्रेजों ने लोगों को जेल में डालना शुरू कर दिया।
यू कियांग नोंगबा ने योजना बनाकर एक साथ सात स्थानों पर अंग्रेज टुकड़ियों पर हमला बोला। इस प्रकार 20 माह तक लगातार युद्ध चलता रहा।
अंग्रेज इन हमलों और पराजयों से परेशान हो गये। वे किसी भी कीमत पर यू कियांग नोंगबा को जिन्दा या मुर्दा पकड़ना चाहते थे।
उन्होंने पैसे का लालच देकर उसके साथी उदोलोई तेरकर को अपनी ओर मिला लिया। उन दिनों यू कियांग नोंगबा बहुत (Yu Qiang Nongba) घायल थे। उसके साथियों ने इलाज के लिए उन्हें मुंशी गाँव में रखा हुआ था। उदोलोई ने अंग्रेजों को यह सूचना दे दी।
अंग्रेज सैनिकों ने साइमन के नेतृत्व में मुंशी गाँव को चारों ओर से घेर लिया। यू कियांग ने समर्पण नहीं किया और युद्ध जारी रखा। अंग्रेजों ने घायल यू कियांग नोंगबा को पकड़ लिया।
आत्मसमर्पण ना करने पर 30 दिसम्बर, 1862 को अंग्रेजों ने यू कियांग नोंगबा (Yu Qiang Nongba) को सार्वजनिक रूप से जोनोई में ही फाँसी दे दी।
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