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किसी नागरिक सरकार द्वारा गठित जांच दल द्वारा पहली बार भारतीय सेना से पूछताछ की जा रही है
म्यांमार बॉर्डर के निकट हुई गोलीबारी (Nagaland firing) घटना को लेकर नागालैंड सरकार (Nagland government) के एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने गुरुवार यानि 30 दिसंबर को भारतीय सेना के 21 पैरा स्पेशल फोर्सेज से पूछताछ की है। बता दें इस घटना में भारतीय सुरक्षा बलों ने म्यांमार की सीमा से लगे उत्तर-पूर्वी राज्य के सुदूर क्षेत्रों में शनिवार, 4 दिसंबर की देर रात कथित तौर पर नागरिकों पर गोलियां चलाई थी। जिसमें 14 नागरिकों की मौत हो गई थी।
किसी नागरिक सरकार द्वारा गठित जांच दल द्वारा पहली बार भारतीय सेना से पूछताछ की जा रही है। असम के जोरहाट जिले में वर्षा वन अनुसंधान संस्थान (आरएफआरआई) में भारतीय सेना के जवानों से 22 सदस्यीय एसआईटी ने पूछताछ की है।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार नागालैंड पुलिस के अतिरिक्त डीजीपी (कानून व्यवस्था) संदीप एम तमगडगे ने पूछताछ का नेतृत्व किया जो गुरुवार की देर शाम तक जारी रही और शुक्रवार (31 दिसंबर) सुबह फिर से शुरू होगी। इससे पहले बुधवार, 29 दिसंबर को नागालैंड सरकार ने पांच सदस्यीय जांच दल को 22 सदस्यीय तक बढ़ा दिया और इसे सात छोटे-छोटे ग्रुप में बांट दिया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि सरकार मामले को जल्द से जल्द निपटारा हो सके।
रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सुरक्षा बलों ने म्यांमार की सीमा से लगे पूर्वोत्तर राज्य के सुदूर क्षेत्रों में शनिवार, 4 दिसंबर की देर रात नागरिकों पर गोलियां चलाई थी। दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर खेद जताते हुए सेना ने एक बयान में कहा कि हत्याओं के कारणों की उच्चतम स्तर पर जांच की गई है और कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।
इन घटना से नागालैंड से सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA), 1958 को वापस लेने की मांग को हवा मिल गई। इसी कड़ी में नागरिक समाज, आदिवासी संगठनों और आम लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया है। नागालैंड विधानसभा ने भी AFSPA को निरस्त करने की मांग वाला एक प्रस्ताव पारित किया है।
26 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने AFSPA को वापस लेने की मांग को देखने के लिए रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया था। इसके अलावा, केंद्र ने आज AFSPA को छह महीने के लिए बढ़ा दिया और पूरे नागालैंड राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया है।
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