मिज़ोरम

परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स की रिपोर्ट जारी, राज्य स्तर पर नहीं बल्कि जिला स्तर पर स्कूल शिक्षा प्रणाली का व्यापक मूल्यांकन

Shiddhant Shriwas
2 July 2022 9:13 AM GMT
परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स की रिपोर्ट जारी, राज्य स्तर पर नहीं बल्कि जिला स्तर पर स्कूल शिक्षा प्रणाली का व्यापक मूल्यांकन
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नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय ने अपने जिला आधारित स्कूल परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई-डी) के तहत भारत के सात जिलों को 'सबसे खराब प्रदर्शन' वाली श्रेणी में रखा है. स्कूली शिक्षा प्रणाली का आकलन करने वाली 2018-19 और 2019-20 के लिएइस संयुक्त पीजीआई-डी रिपोर्ट को मंत्रालय ने सोमवार को जारी किया था.

सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले सात जिलों में से छह पूर्वोत्तर राज्यों मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश में स्थित हैं, जबकि एक पश्चिम बंगाल से है.
2019-20 में अरुणाचल प्रदेश के शि योमी, क्रा दाई और मिजोरम का ममित जिला सबसे नीचे रहे. जबकि 2018-19 में अरुणाचल प्रदेश के नामसाई और मिजोरम में ममित, सेरछिप और लवंगतलाई जिले इस कैटेगरी में शामिल थे.
शिक्षा मंत्रालय ने पहली बार राज्य की बजाय जिला स्तर पर स्कूल शिक्षा प्रणाली के प्रदर्शन की ग्रेडिंग की है. यह ग्रेडिंग स्कूलों के लर्निंग आउटकम लेवल, बुनियादी ढांचे और अन्य मापदंडों के आधार पर की गई है.
राज्य के शिक्षाविदों और शिक्षा विशेषज्ञों का दावा है कि पीजीआई-डी एक सटीक तस्वीर पेश नहीं करता है. लेकिन उन्होंने इस बात को माना है कि राज्यों में 'बुनियादी ढांचे की समस्याएं' हैं.
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मिजोरम विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर डॉ लल्लियांचुंगा ने कहा कि मिजोरम में विभिन्न स्कूलों के प्रशासन के साथ अपनी बातचीत के आधार पर कह सकता हूं कि डेटा राज्य के लिए एक सच्ची तस्वीर प्रदान नहीं करता है. उन्होंने कहा, 'मिजोरम में शिक्षा की स्थिति उतनी खराब नहीं है, जितनी पीजीआई-डी में दिखाई देती है.' डॉ लल्लियांचुंगा विभिन्न राज्य सरकारों के बोर्ड के साथ काम कर चुके हैं.
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन के पूर्व कुलपति प्रोफेसर आर गोविंदा का भी कुछ ऐसा ही मानना हैं. उनके मुताबिक इस तरह के आंकड़ों को एक चुटकी नमक की तरह लेना चाहिए.
गोविंदा ने कहा, 'कई अन्य राज्यों की तुलना में पूर्वोत्तर में आबादी काफी कम है.'
वह कहते हैं, 'इस तरह के सैंपल सर्वे में, निष्पक्ष निष्कर्षों के लिए आपको सिर्फ दो राज्यों से डेटा लेना पर्याप्त नहीं होता है. आप यह कहकर कि पूर्वोत्तर को ऐतिहासिक रूप से अपने विविध इलाकों के कारण बुनियादी ढांचे के साथ समस्याएं हैं और राष्ट्रीय स्तर पर काफी हद तक नजरअंदाज किया जाता रहा है, आप इस आधार पर छूट नहीं ले सकते हैं.'
पीजीआई-डी इंडेक्स में सभी 83 संकेतकों के कुल 600 अंक शामिल हैं, जिन्हें छह श्रेणियों में समूहीकृत किया गया है – लर्निंग आउटकम, इफेक्टिव क्लासरूम ट्रांजेक्शन, बुनियादी ढांचा सुविधाएं, छात्र के अधिकार, स्कूल सुरक्षा और बाल संरक्षण, डिजिटल शिक्षा और गवर्नेंस प्रोसेस.
शैक्षणिक वर्ष 2019-20 में शी योमी का न्यूनतम स्कोर 109 था. 'लर्निंग आउटकम्स' में जिले ने कुल 290 में से 84 स्कोर किया. वहीं 'इफेक्टिव क्लासरूम ट्रांजेक्शन' में 90 में से 4, 'इन्फ्रास्ट्रक्चर फैसिलिटीज एंड स्टूडेंट्स' एंटाइटेलमेंट' में 51 में से 18, 'डिजिटल लर्निंग' में 50 में से 3 और 'गवर्नेंस प्रोसेस' में 83 में से 1 स्कोर किया था.

शि योमी में स्कूल सुरक्षा और बाल संरक्षण पर कोई डेटा उपलब्ध नहीं है.

2018-19 में मिजोरम का लवंगतलाई, 600 में से 106 के समग्र स्कोर के साथ सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला जिला था.


इसने 'लर्निंग आउटकम्स' में 62/290, 'इफेक्टिव क्लासरूम ट्रांजैक्शन' में 10/90, 'डिजिटल लर्निंग' में 3/50, 'इंफ्रास्ट्रक्चर फैसिलिटीज एंड स्टूडेंट्स एंटाइटेलमेंट' में 28/51 और 'गवर्नेंस प्रोसेस' में 3/83 अंक हासिल किए.' लवंगतलाई जिले का भी स्कूल सुरक्षा और बाल संरक्षण पर डेटा उपलब्ध नहीं था.


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