मिज़ोरम
विचाराधीन बंदियों को पेरोल पर छोड़ने का आदेश, इस क्रम में जिला जेल से भी 63 बंदी छोड़े गए
Shiddhant Shriwas
12 July 2022 10:20 AM GMT
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कोरोना महामारी के दौरान जेलों में सोशल डिस्टेंस का पालन करने के लिए विचाराधीन बंदियों को पेरोल पर छोड़ने का आदेश हुआ था। इस क्रम में जिला जेल से भी 63 बंदी छोड़े गए थे। इनमें से 24 अबतक लौटे ही नहीं। इन बंदियों मेंमिजोरम के दो अंतरराज्यीय सोना तस्कर भी शामिल हैं। ये बंदी पुलिस की रडार से बाहर हैं। जिला जेल प्रशासन ने इन्हें पकड़कर लाने के लिए संबंधित जिलों व थानों की पुलिस को पत्र लिखा है।
बीते साल कोरोना महामारी की दूसरी लहर में जब मौतों का सिलसिला शुरू हुआ तो जेलों से बंदियों को पेरोल पर रिहा किया जाने लगा। इसमें ऐसे विचाराधीन बंदी हैं, इनमें सोना तस्कर, लूट, छिनैती, मादक पदार्थों की तस्करी, दहेज उत्पीड़न समेत अन्य कई तरह के अपराध में बंद थे। जिला जेल अधीक्षक अरुण कुमार सक्सेना ने बताया कि संबंधित जिले की पुलिस को कई बार पत्र लिखा गया, हालांकि अब तक न बंदी लौटे, न पुलिस पकड़कर ला सकी है।
मिजोरम के आइजॉल के तलांग निवासी दो तस्कर लालेंगकिमा और चुंगलियान जुइया को डीआरआई ने पीडीडीयू जंक्शन से ब्रह्मपुत्र मेल के एसी सेकेंड कोच से तीन करोड़ 22 लाख रुपये के सोना के साथ पकड़ा था। दोनों अंतरराज्यीय सोना तस्करी गिरोह के सक्रिय सदस्य थे। करीब 10 किलो सोना के साथ पकड़े गये तस्करों पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया था। पेरोल पर छूटने के बाद दोनों लापता हैं। आशंका है कि फिर से तस्करी में संलिप्त हैं।
जेल से पेरोल पर छूटे इन बंदियों का भी कोई सुराग नहीं है। इनमें शिवपुर के कांशीराम आवासीय कॉलोनी निवासी सागर अंसारी, जैतपुरा के जलालीपुरा का बक्कुल चौहान, जंसा के कोरौता का सीता राम, मिर्जामुराद के चित्रसेनपुर का डॉक्टर, फूलपुर के तरसड़ा का हरेंद्र सिंह, कपसेठी के रघुनाथपुर का बबलू राजभर, चौबेपुर के धौरहरा का धर्मेंद्र राजभर, कपसेठी के तिलवार का महफूज, नूर आलम, जाबीर, आशिक अली, फूलपुर के समुगरा निवासी अजय कुमार, लल्लन, संजय, चोलापुर के टिसौरा का इश्तियाक, चौबेपुर के छितौना का उमेश उर्फ पेड़ा हैं। चंदौली के धीना के बीरासराय निवासी रमापति बिंद, हरि बिंद, पड़ाव चौरहट का अबरार अहमद, चंदौली के कटशीला का अशोक सिंह, अलीनगर के मरछा निवासी राजन उर्फ अजय, भदोही के चौरी के चिनईपुर निवासी राजकुमार बनवासी अब तक नहीं लौटे।
Shiddhant Shriwas
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