मिज़ोरम

सरकार को प्रभावशाली तरीके से घेरने में असफल रहा विपक्ष, दस विधानसभा सीटों पर होगा उपचुनाव

Shiddhant Shriwas
21 Jun 2022 1:17 PM GMT
सरकार को प्रभावशाली तरीके से घेरने में असफल रहा विपक्ष, दस विधानसभा सीटों पर होगा उपचुनाव
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तीन लोकसभा और सात विधानसभा सीटों पर उपचुनावों की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। 23 जून को वोट डाले जाएंगे। वोटों की गिनती 26 जून को होगी। चूंकि यह उपचुनाव ऐसे वक्त में हो रहा है, जब कांग्रेस समेत कई विपक्ष दल केंद्र सरकार की 'अग्निपथ' योजना का विरोध कर रहे हैं। लोकसभा/विधानसभा उपचुनाव में 'अग्निपथ' की लपटें, किसे झुलसाएंगी और फौज का अपमान जैसी बयानबाजी, क्या वोट में तब्दील हो सकेगी, अब ये सवाल अहम बन गया है। हालांकि 'सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज' (सीएसडीएस) के निदेशक संजय कुमार कहते हैं, सेना भर्ती का मुद्दा अभी इतना गर्म नहीं है कि वह उपचुनाव को प्रभावित कर सके।

तीन लोकसभा व दस विधानसभा सीटों पर होगा उपचुनाव

23 जून को पंजाब की संगरूर, यूपी की रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीट पर उपचुनाव होगा। इसके साथ ही त्रिपुरा की अगरतला विधानसभा, टाउन बार्दोवली, सुरमा, जुबराजनगर विधानसभा, आंध्र प्रदेश की आत्माकुर विधानसभा, दिल्ली में राजेंद्र नगर विधानसभा और झारखंड की मंदार विधानसभा सीट के उपचुनाव में वोट डाले जाएंगे। देश में इस वक्त सेना भर्ती की नई योजना 'अग्निपथ' को लेकर कई राज्यों से विरोध की खबरें आ रही हैं। कई जगहों पर भारतीय रेल को निशाना बनाया गया है। सोमवार को कांग्रेस पार्टी ने इस योजना के विरोध में भारत बंद का आह्वान किया। कांग्रेस पार्टी, इसे 'सत्याग्रह' बता रही है।

सेना भर्ती में टॉप पर रहा है उत्तर प्रदेश

अगर 2016 से 2019 के बीच सेना भर्ती की बात करें तो इस सूची में उत्तर प्रदेश का नंबर पहले स्थान पर है। इस राज्य से सेना में 18906 युवा भर्ती हुए थे। पंजाब और चंडीगढ़ से 15455, राजस्थान से 13128, महाराष्ट्र से 11866, हरियाणा से 10382, उत्तराखंड से 8966, हिमाचल प्रदेश से 8752, बिहार से 7857, जम्मू-कश्मीर से 7443, मध्यप्रदेश से 6203, पश्चिम बंगाल से 5449, नेपाल से 5275, आंध्रप्रदेश से 4121, केरल से 3727, असम से 2360, दिल्ली से 1131 और मिजोरम आदि से 492 युवा, भारतीय सेना में भर्ती हुए थे।

सीएसडीएस के निदेशक संजय कुमार ने बताया, अग्निपथ को लेकर जैसा आंदोलन हो रहा है और उसका उपचुनाव पर कोई असर पड़ेगा, इसकी बहुत कम गुंजाइश है। ये बात ठीक है कि उत्तर प्रदेश में दो लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हैं। गत तीन वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि सेना भर्ती के मामले में यह राज्य पहले नंबर पर है।

अग्निपथ से वोट इधर-उधर होने की गुंजाइश नहीं

अग्निपथ का विरोध हो रहा है, मगर उससे वोट इधर-उधर होंगे, इसके आसार बहुत कम कम हैं। वजह, कुछ लोग मोदी सरकार के एक कार्य को लेकर नाराज हो सकते हैं, लेकिन वे दूसरे कार्यों से खुश भी होंगे। संभव है कि वोटरों को राष्ट्रवाद जैसा मुद्दा पसंद आता हो। दूसरा, अग्निपथ का विरोध सभी जगह पर नहीं है। कुछ ऐसे राज्य, जहां से अधिक संख्या में युवा, सेना में भर्ती होते रहे हैं, वहां भी सभी स्थानों पर विरोध नहीं हो रहा। ये विरोध बड़ा विशिष्ट है। खासतौर पर उपचुनाव में वोटर यही देखता है कि एक मोर्चे पर सरकार ठीक नहीं है तो दूसरे मोर्चे पर नजर डालते हैं। अभी ये राष्ट्रव्यापी विरोध भी नहीं है। उत्तर प्रदेश और पंजाब में तो इसी साल विधानसभा चुनाव हुए हैं। वोटर, इतनी जल्दी इधर-उधर जाने का निर्णय नहीं लेता है। सरकार ने इस विरोध को खत्म करने का हर संभव प्रयास किया है।

सरकार को प्रभावशाली तरीके से घेरने में असफल रहा विपक्ष

बतौर संजय कुमार, सरकार काफी हद तक लोगों को यह बताने में सफल हो रही है कि विपक्ष इस मामले में युवाओं को गुमराह कर रहा है। दूसरी ओर, विपक्ष एवं दूसरे संगठन अभी तक इस मुद्दे पर सरकार को प्रभावशाली तरीके से घेरने में सफल नहीं हुए हैं। विपक्षी दलों के नेता अलग-अलग बयान दे रहे हैं, लेकिन वे एक मंच पर आकर सरकार को नहीं घेर रहे। इसका फायदा सरकार को पहुंच रहा है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सवाल उठाया है कि केंद्र सरकार, अग्निपथ पर बार-बार सेनाध्यक्षों को आगे कर रही है। बसपा प्रमुख मायावती ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, केंद्र की अग्निपथ योजना, देश की सुरक्षा व फौजी के आत्म-सम्मान और स्वाभिमान से जुड़ी होने के बावजूद यह पार्टी अनाप-शनाप बयानबाजी कर रही है। देश को अचंभित करने वाली नई 'अग्निपथ' सैन्य भर्ती योजना, सरकार द्वारा नोटबंदी और तालाबंदी आदि की तरह ही, अचानक व काफी आपाधापी में थोपी जा रही है। करोड़ों युवा व उनके परिवार वालों में खासा आक्रोश है।

भगवंत मान ने बताया फौज का अपमान है 'अग्निपथ'

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी केंद्र सरकार की सेना में भर्ती योजना का विरोध किया है। चार साल फौज में रहने के बाद जवानों को पेंशन भी नहीं मिलेगी। यह सेना का अपमान है। केंद्र इस फैसले को तुरंत वापस ले। हरियाणा और बिहार में उग्र प्रदर्शन हुआ है। दो साल तक फौज में भर्ती पर रोक लगाने के बाद केंद्र ने नया फरमान जारी किया है। युवा, चार साल फौज में रहे और बाद में उसे पेंशन भी न मिले। यह फौज का भी अपमान है। देश के युवाओं के साथ धोखा है।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, युवाओं के मन में वर्तमान के प्रति हताशा-निराशा का भाव देश के लिए खतरनाक है। भाजपा का हर तरफ हो रहा विरोध दिखाता है कि इस पार्टी ने जनाधार खो दिया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अग्निपथ स्कीम को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की है। उन्होंने आरोप लगाया कि भगवा खेमा इस नई रक्षा भर्ती योजना के जरिए अपना सशस्त्र कैडर तैयार करने की कोशिश कर रहा है।

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