मिज़ोरम

मिजोरम सरकार की पहल, म्यांमार के शरणार्थियों के लिए पहचान पत्र जारी

Kunti Dhruw
13 April 2022 10:52 AM GMT
मिजोरम सरकार की पहल, म्यांमार के शरणार्थियों  के लिए पहचान पत्र जारी
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मिजोरम सरकार (Mizoram Government) ने म्यांमार के उन नागरिकों (Myanmar refugees in Mizoram) को पहचान पत्र जारी करना शुरू कर दिया है,

आइजोल: मिजोरम सरकार (Mizoram Government) ने म्यांमार के उन नागरिकों (Myanmar refugees in Mizoram) को पहचान पत्र जारी करना शुरू कर दिया है, जिन्होंने पिछले साल फरवरी में पड़ोसी देश में सैन्य तख्तापलट (Coup in Myanmar) होने के बाद पूर्वोत्तर के इस राज्य में शरण ले रखी है. गृह विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि ये पहचान पत्र सिर्फ मिजोरम में वैध होंगे और शरणार्थियों की शीघ्रता से तथा आसानी से पहचान सुनिश्चित करने में मदद करने के अलावा राज्य की मतदाता सूची में उनके नाम शामिल होने से भी रोकेंगे. अधिकारियों ने बताया कि शरणार्थियों के बारे में बुनियादी सूचना देने के अलावा इन पहचान पत्रों में इस बात का भी उल्लेख होगा कि पहचान पत्र धारक ने मानवीय आधार पर मिजोरम में शरण ले रखी है.आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक म्यांमार के कुल 29532 नागरिक अपना घर-बार छोड़ कर पलायन कर गए थे और उन्होंने अपने देश में सैन्य तख्तापलट होने के बाद से मिजोरम के 11 जिलों में शरण ले रखी है. जिला प्रशासन को पहचान पत्र जारी करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. विभिन्न जिलों ने अलग-अलग तारीखों पर यह प्रक्रिया शुरू कर दी है जबकि कुछ जिलों द्वारा यह कार्य शुरू किया जाना बाकी है.अधिकारी ने बताया कि सेरछीप जिले ने यह कार्य फरवरी में शुरू किया, जबकि हनाहथियाल जिला प्रशासन ने 1110 कार्ड बृहस्पतिवार को बांटे. वहीं, म्यांमार की सीमा से लगे लवंगतलाई जिले ने अब तक 4794 कार्ड जारी किए हैं. आइजोल में शरणार्थियों को पहचान पत्र जारी करने की प्रक्रिया अगले हफ्ते शुरू होगी.
यहां के उपायुक्त लालहरीतजुआली रालते ने यह जानकारी दी. मिजोरम के छह जिले म्यांमार के चिन प्रांत से 510 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं.नाम न छापने की शर्त पर मिजोरम से फोन पर ईटीवी भारत से बात करने वाले राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि जब से तख्तापलट हुआ है तब से लगभग 30 से 40 हजार शरणार्थी मिजोरम में प्रवेश कर चुके हैं. हम इन शरणार्थियों को पहचान प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं. इस पहचान पत्र की तकनीक पर सवाल का जवाब देते हुए सूत्र ने कहा कि ये अस्थायी आईडी हैं, जो कहती हैं कि धारक मिजोरम में रहने वाला म्यांमार का नागरिक है.
प्रमाण पत्र का उद्देश्य केवल पहचान के लिए है.शरणार्थियों को समायोजित नहीं करने के केंद्र के निर्देश के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए सूत्र ने कहा कि पिछले साल हमें गृह सचिव द्वारा जारी एक पत्र मिला था लेकिन इसके बाद हम व्यक्तिगत रूप से अपने लोकसभा और राज्यसभा सांसदों से मिले. हमने उन्हें बताया कि ये शरणार्थी हमारे भाई हैं क्योंकि हम समान जाति और भाषा साझा करते हैं, वे अन्य लोग नहीं हैं. अधिकारी ने यह भी कहा कि अंग्रेजों के जाने के बाद बर्मा (म्यांमार) अस्तित्व में आया. इसने लोगों को विभाजित कर दिया.मिजोरम में बहुसंख्यक और मणिपुर में कई लोग कुकी-मिजो जातीय समूह से संबंधित हैं, जो पश्चिमी म्यांमार में सागिंग राज्य में रहने वाले चिन लोगों के साथ समान जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक और रिश्तेदारी के संबंध साझा करते हैं. सूत्र ने यह भी स्पष्ट किया कि पिछले साल बैठक के बाद केंद्र ने हमारी वास्तविक चिंता को समझा कि ये शरणार्थी हमारे खून के भाई हैं और उन्होंने (केंद्र) मौखिक रूप से कहा कि वे इन शरणार्थियों को वापस नहीं भेजेंगे.


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