मिज़ोरम

म्यांमार के 29 शरणार्थी बच्चे मिजोरम में देंगे बोर्ड परिक्षाएं, अधिसूचना जारी कर दी अनुमति

Deepa Sahu
23 Feb 2022 1:49 PM GMT
म्यांमार के 29 शरणार्थी बच्चे मिजोरम में देंगे बोर्ड परिक्षाएं,  अधिसूचना जारी कर दी अनुमति
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म्यांमार में तख्तापलट के बाद अत्याचार से बचने को अपने मां-बाप के साथ मिजोरम भागकर शरण लेने आए

एजल, म्यांमार में तख्तापलट के बाद अत्याचार से बचने को अपने मां-बाप के साथ मिजोरम भागकर शरण लेने आए, 29 छात्र व छात्राएं इसी माह राज्य की बोर्ड परीक्षाओं में बैठने के लिए तैयार हैं। यह जानकारी मिजोरम के शिक्षा मंत्री लालचम्दामा राल्ते ने दी है। उन्होंने बताया कि म्यांमार के इन शरणार्थी छात्र-छात्राओं में से 27 ने दसवीं की परीक्षा के लिए अपना पंजीकरण कराया है जबकि बारहवी की परीक्षा के लिए केवल दो छात्रों का पंजीकरण हुआ है।


रिफ्यूजी कैंपों में दिन काट रहे विस्थापित

म्यांमार से जान बचाकर भागे इन छात्र-छात्राओं ने मिजोरम के सियाहा और चम्फाई जिलों में शरण ली है। यह म्यांमार की सीमा से लगे भारतीय राज्य मिजोरम के पूर्वी हिस्से में स्थित हैं। राल्ते ने बताया कि राज्य सरकार ने पहले एक अधिसूचना जारी की थी जिसमें म्यांमार के नागरिकों के बच्चों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई थी। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि म्यांमार के एक हजार बच्चों का पंजीकरण मिजोरम के विभिन्न स्कूलों में कराया गया है।
आनलाइन फार्मेट में होंगी बोर्ड परिक्षाएं

पिछले साल फरवरी में म्यामांर में सैन्य शासन होने के बाद से हजारों की तादाद में वहां के नागरिक भागकर मिजोरम में शरण ले रहे हैं। उनमें से बहुत से लोग मिजोरम के ग्रामीण इलाकों के सामुदायिक केंद्रों, स्कूलों और राहत शिविरों में रह रहे हैं। मिजोरम बोर्ड आफ स्कूल एजुकेशन (एमबीएसई) की दसवीं की परीक्षाएं 28 फरवरी और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं एक मार्च से शुरू हो रही हैं। यह बोर्ड परीक्षाएं आनलाइन फार्मेट में होंगी।
पिछले साल म्यांमार में हुआ तख्तापलट

गौरतलब है कि म्यांमार में सेना जुंटा ने फरवरी-2021 में आंग सान सू की चुनी हुए सरकार का तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा कर लिया था। तभी से देश में लगातार विपरीत परिस्थितियां बनी हुई हैं, विश्व समुदाय लगातार यहां लोकतंत्र को फिर से बहाल करने की मांग कर रहा है। पिछले दिनों में सैन्य शासन के विरोध में यहां लोकतंत्र के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन भी किए। लेकिन देश की सेना द्वारा उनकी आवाज को क्रूरता से दबा दिया गया।


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