दिल्ली : मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने बुधवार को कहा कि हिंसा प्रभावित मणिपुर से विस्थापित हुए जातीय-जनजातियों के करीब 11,785 लोगों ने मिजोरम में पनाह ली है। मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा के एक ट्वीट के अनुसार, आदिवासियों ने सभी 11 जिलों में पनाह ली है। दक्षिणी असम से सटे कोलासिब जिले में सबसे अधिक 4,296 लोगों ने पनाह ली है। इसके बाद आइजोल में 3,837 और सैतुअल जिलों में 2,855 लोगों ने पनाह ली है।
सीएम ने एक और ट्वीट करते हुए लिखा, एक जिम्मेदार सरकार के रूप में मानवीय सहायता, हमारे पास ज्यादा नहीं है। लेकिन, हम मदद करने के लिए तैयार हैं। 2388.50 क्विंटल चावल, अन्य राहत आपूर्ति समेत मिजोरम सरकार द्वारा मणिपुर के संकटग्रस्त क्षेत्रों में रहने वाली 'जो' जातीय जनजातियों और मिजोरम में रहने वाले आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों को दिया गया है।
जातीय संघर्ष के भड़कने के बाद से मणिपुर के कुल 11,785 आईडीपी ने मिजोरम में शरण ली है। मिजोरम वर्तमान में पड़ोसी मणिपुर, म्यांमार और बांग्लादेश के 50,000 से अधिक लोगों को पनाह दे रहा है।
आइजोल में अधिकारियों ने कहा कि मणिपुर से विस्थापित हुए 11,785 लोगों में से 2,883 लोग 11 जिलों के 35 राहत शिविरों में रह रहे हैं, जबकि शेष 8902 लोग अपने रिश्तेदारों के घरों, चचरें और विभिन्न अन्य स्थानों पर रह रहे हैं।
मिजोरम सरकार ने मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण विस्थापित होने के बाद राज्य में शरण लिए लोगों को राहत देने के लिए केंद्र से 10 करोड़ रुपये मांगे हैं।
मिजोरम के सीएम जोरमथांगा ने 16 मई और 23 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वित्तीय सहायता के लिए दो पत्र लिखे, लेकिन केंद्र ने अभी तक अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं दी है। सीएम जोरमथांगा ने रविवार को मणिपुर के सीएम एन. बीरेन सिंह को मिजोरम में रहने वाले मैइती समुदाय के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने का आश्वासन दिया।
मैइती समुदाय के कई लोग कई वर्षों से मिजोरम में रह रहे हैं और विभिन्न व्यवसायों में काम करते हैं। मिजोरम और मणिपुर के मुख्यमंत्रियों ने रविवार को मिजोरम में रह रहे मैइती लोगों की सुरक्षा पर चर्चा की थी।