मेघालय

मुख्यमंत्री कोनराड, बोले- कभी भी निरस्त किया जा सकता है AFSPA

Deepa Sahu
30 Dec 2021 3:34 PM GMT
मुख्यमंत्री कोनराड, बोले- कभी भी निरस्त किया जा सकता है AFSPA
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केंद्र सरकार ने नागालैंड में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) की अवधि को गुरुवार को और छह महीने के लिए बढ़ा दिया।

केंद्र सरकार ने नागालैंड में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) की अवधि को गुरुवार को और छह महीने के लिए बढ़ा दिया। केंद्र ने नगालैंड की स्थिति को 'अशांत और खतरनाक' बताया है। केंद्र के इस फैसले पर लोगों से मिलीजुली प्रतिक्रिया रही है। लेकिन इस बीच मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने भरोसा जताया है कि सही परिस्थितियों के साथ AFSPA को अभी भी निरस्त किया जा सकता है।

'AFSPA की अवधि बढ़ाना सिर्फ एक नियमित प्रक्रिया
'
मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने कहा कि AFSPA की अवधि बढ़ाना सिर्फ एक नियमित प्रक्रिया थी। हालांकि उन्होंने कहा कि, "एक बार जब वह प्रस्ताव, या समीक्षा समिति इस पर गौर करती है, तो पैनल इसे देखता है, मुझे यकीन है कि इसके (AFSPA) बारे में अलग से फैसला सामने आएगा।"
छह महीने की अवधि के लिए 'अशांत क्षेत्र' घोषित नागालैंड
केंद्र सरकार ने आज एक अधिसूचना में कहा, "केंद्र सरकार की राय है कि पूरे नागालैंड राज्य को शामिल करने वाला क्षेत्र इतनी अशांत और खतरनाक स्थिति में है कि सिविल पावर की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का इस्तेमाल आवश्यक है।" इसमें कहा गया है कि अधिनियम की धारा 4 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, "केंद्र सरकार घोषित करती है कि 30 दिसंबर, 2021 से पूरे नागालैंड राज्य को छह महीने की अवधि के लिए 'अशांत क्षेत्र' घोषित किया जाएगा।"
14 ग्रामीणों की मौत के बाद अशांत है नागालैंड
यह अधिसूचना 4 दिसंबर की विवादित सेना की गोलीबारी के बाद नागालैंड में सामान्य स्थिति बहाल करने के प्रयासों के बीच आई है। मोन जिले में 4 दिसंबर को हुई इस दुखद घटना में 14 ग्रामीणों की मौत हो गई थी। घटना के बाद झड़प में एक जवान भी शहीद हो गया था। हालांकि 26 दिसंबर को नागालैंड के सीएम नेफ्यू रियो ने घोषणा की थी कि केंद्र ने कोई वैकल्पिक कार्रवाई करने से पहले AFSPA की विस्तार से जांच करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। हालांकि फिर भी आज कठोर कानून को फिर से 180 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है।
क्या है अफस्पा?
यह अधिनियम 1958 से पूर्वोत्तर में लागू है। इसके तहत सशस्त्र बलों और "अशांत क्षेत्रों" में तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को कानून के उल्लंघन में को लेकर काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को मारने, गिरफ्तारी और बिना वारंट के किसी भी परिसर की तलाशी लेने और केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना अभियोजन और कानूनी मुकदमों से सुरक्षा की शक्ति होती है।
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