मणिपुर

गार्सेटी के अमेरिकन ऑफर पर भड़के तिवारी!

Sonam
7 July 2023 6:12 AM GMT
गार्सेटी के अमेरिकन ऑफर पर भड़के तिवारी!
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भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी इनदिनों कोलकाता में है। वहां पत्रकारों से बातचीत के दौरान मणिपुर हिंसा पर किए गए एक सवाल पर उन्होंने जो जवाब दिया है, उस पर कांग्रेस ने जमकर आलोचना की है। गार्सेटी ने बातचीत के दौरान कहा था कि जरूरत पड़ने पर अमेरिका मणिपुर की हरसंभव मदद करेगा। उनके इस जवाब के बाद कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

अमेरिकी राजदूत के जवाब पर बवाल

मणिपुर हिंसा से संबंधित एक सवाल पर एरिक गार्सेटी ने कोलकाता में गुरुवार को कहा कि संकट का हल करने में अमेरिका किसी भी तरह से सहायता करने के लिए तैयार है। जब उनसे यह कहा गया कि यह भारत का आंतरिक मामला है तो उन्होंने जवाब में कहा कि अमेरिका को रणनीतिक चिंता नहीं बल्कि मानवीय चिंताएं हैं।

गार्सेटी ने कहा- इस तरह के हिंसा में जब बच्चे मरते हैं तो आपको इसमें चिंता करने के लिए भारतीय होने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। शांति कायम रखना एक मिशाल है। जरूरत पड़ने पर हम मदद के लिए तैयार हैं। हमें पता है कि यह भारत का आंतरिक मुद्दा है और हम राज्य में शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। इस क्षेत्र में शांति स्थापित होने से यहां हम कई परियोजना और निवेश ला सकते हैं।

गार्सेटी के बयान पर मनीष तिवारी की प्रतिक्रिया

एरिक गार्सेटी के इस बयान पर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने प्रतिक्रिया देते हुए उनके जवाब को दुर्लभ बताया है। उन्होंने पंजाब, जम्मू कश्मीर और पुर्वोत्तर राज्यों की चुनौतियों का जिक्र करते हुए ट्वीट पर लिखा, 'हमने इससे पहले पंजाब, जम्मू कश्मीर, और उत्तर-पूर्व में भी ऐसी चुनौतियों का सामना किया है। हमने इसे अपनी चतुराई और बुद्धिमता से उन चुनौतियों पर जीत भी हासिल की। यहां तक की 1990 के दशक रॉबिन राफेल भी जम्मू कश्मीर पर हावी थे तब भी अमेरिकी राजदूत चौकन्ना थे।'

उन्होंने कहा, 'मुझे संदेह है कि क्या नए राजदूत गार्सेटी अमेरिका-भारत संबंधों के जटिल और यातनापूर्ण इतिहास से अवगत है। शायद वे हमारे आंतरिक मामलों में कथित या वास्तविक, नेक या दुर्भावनापूर्ण हस्तक्षेप के बारे में हमारी संवेदनशीलता से अवगत नहीं हैं।'

मणिपुर में तीन मई से जारी हिंसा में अबतक 100 लोगों की मौत हो चुकी है। यह हिंसा मैतेई समुदाय के अनुसुचित जनजाति में शामिल होने के मांगों के खिलाफ निकाले गए जुलूस के दौरान शुरू हुई थी। लगभग दो महीनों से चल रहे इस हिंसा में अबतक तीन हजार से भी ज्यादा लोग घायल हुए हैं।

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