x
नई दिल्ली (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कुकी-ज़ो समुदाय से आने वाले दो शिक्षाविदों को मणिपुर पुलिस की किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से बचा लिया। दोनों पर राज्य के इतिहास को कथित तौर पर तोड़-मरोड़ कर पेश करने वाली एक किताब का संपादन करने का मामला दर्ज किया गया था।
मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने नोटिस जारी किया और तीन सप्ताह की अवधि के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की।
शिक्षाविदों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 505 (अफवाह प्रकाशित करना) के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की।
मणिपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जंगखोमांग गुइटे और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर थोंगखोलाल हाओकिप ने "द एंग्लो-कुकी वॉर 1917-1919" नामक पुस्तक का संपादन किया, जिसके लेखक कर्नल विजय चेनजी (सेवानिवृत्त) हैं।
इंफाल स्थित नागरिक समाज संगठन फेडरेशन ऑफ हाओमी की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर में दावा किया गया था कि मणिपुर में कोई एंग्लो-कुकी युद्ध नहीं हुआ था और पुस्तक में 1917 से 1919 तक कुकी विद्रोह को गलत तरीके से दर्शाया गया है। यह भी मांग की गई कि "देश में न्याय और शांति के लिए" पुस्तक पर प्रतिबंध लगाया जाए।
Next Story