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आइजोल (आईएएनएस)। लोकसभा में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के एकमात्र सदस्य सी. लालरोसांगा ने गुरुवार को कहा कि जातीय हिंसा से निपटने पर केंद्र और मणिपुर की भाजपा सरकारों के रवैये से उनकी पार्टी "बेहद नाखुश" है। उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करते हैं।
लालरोसांगा की टिप्पणी तब आई जब एनडीए के सबसे पुराने सहयोगियों में से एक एमएनएफ ने "मणिपुर संकट से गलत तरीके से निपटने" को लेकर लोकसभा में विपक्षी इंडिया ब्लॉक द्वारा प्रायोजित अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने का फैसला किया है।
मणिपुर मुद्दे से बेहद नाराज लालरोसांगा और मिजोरम से एमएनएफ के एकमात्र राज्यसभा सदस्य के. वनलालवेना, नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हाल ही में हुई एनडीए सांसदों की बैठक में शामिल नहीं हुए थे।
फोन पर आईएएनएस से बात करते हुए, लालरोसांगा ने कहा, “जिस तरह से भाजपा सरकारों ने मणिपुर मुद्दे से निपटा है, उससे हम बेहद नाखुश हैं। मणिपुर में हमारे भाई-बहन हिंसा से बुरी तरह प्रभावित और परेशान हुए हैं।”
उन्होंने कहा कि एमएनएफ, जो असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाले कांग्रेस विरोधी नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) का सहयोगी भी है, प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का भी विरोध करता है।
लालरोसांगा ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दे पर मुख्यमंत्री और एमएनएफ अध्यक्ष ज़ोरमथांगा सहित मिजोरम में पार्टी नेतृत्व के साथ चर्चा की गई।
इस बीच, एमएनएफ के कई नेताओं और मिजोरम से पार्टी के दो सांसदों ने हाल ही में मणिपुर अशांति और यूसीसी जैसे मुद्दों पर एनडीए से समर्थन वापस लेने की इच्छा व्यक्त की है।
हालाँकि, ज़ोरमथांगा ने हाल ही में कहा था कि उनकी पार्टी ने अभी तक भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए से बाहर निकलने पर फैसला नहीं किया है।
मुख्यमंत्री, उनके कैबिनेट सहयोगियों और एमएनएफ विधायकों ने मणिपुर में हिंसा से प्रभावित कुकी-ज़ो आदिवासियों के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए 25 जुलाई को मिजोरम में गैर सरकारी संगठन समन्वय समिति द्वारा आयोजित 'एकजुटता मार्च' में भाग लिया था।
40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा के चुनाव इस साल के अंत में होंगे।
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