मणिपुर

बिष्णुपुर इलाके में हुई ताजा झड़पें, 17 लोग घायल, इंफाल घाटी में फिर से लगा कर्फ्यू

Manish Sahu
3 Aug 2023 6:50 PM GMT
बिष्णुपुर इलाके में हुई ताजा झड़पें, 17 लोग घायल, इंफाल घाटी में फिर से लगा कर्फ्यू
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मणिपुर: इंफाल पश्चिम जिले में 3 अगस्त को सुबह 05:00 बजे से रात 08:00 बजे तक दी गई पूरी छूट को वापस ले लिया गया है। जिले में तत्काल प्रभाव से पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया गया है और इम्फाल पश्चिम जिले के सभी क्षेत्रों में आम जनता के उनके आवासों के बाहर आवाजाही पर प्रतिबंध लागू किया गया है।
मणिपुर में हिंसा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले तीन महिने से मणिपुर में हिंसा का दौर जारी है। मणिपुर में बिष्णुपुर जिले के कांगवई और फोउगाकचाओ इलाके में एक बार फिर से आज ताजा झड़पें हुई। जानकारी के मुताबिक इसमें 17 लोग घायल हुए है। हालात को काबू करने के लिए सेना तथा त्वरित कार्रवाई बल (आरपीएफ) ने आंसू गैस के गोले छोड़े। इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम के जिला मजिस्ट्रेट ने कर्फ्यू में दी गई ढील को वापस ले लिया है और एहतियात के तौर पर आज पाबंदियां लागू की है।
इंफाल पश्चिम जिले में 3 अगस्त को सुबह 05:00 बजे से रात 08:00 बजे तक दी गई पूरी छूट को वापस ले लिया गया है। जिले में तत्काल प्रभाव से पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया गया है और इम्फाल पश्चिम जिले के सभी क्षेत्रों में आम जनता के उनके आवासों के बाहर आवाजाही पर प्रतिबंध लागू किया गया है। स्वास्थ्य, बिजली, पीएचईडी, पेट्रोल पंप, स्कूल/कॉलेज और नगर पालिका जैसी आवश्यक सेवाओं से संबंधित व्यक्तियों की आवाजाही। प्रेस और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, अदालतों के कामकाज और हवाई अड्डे पर उड़ान यात्रियों की आवाजाही को कर्फ्यू लगाने से छूट दी जाएगी। इंफाल घाटी में रात्रिकालीन कर्फ्यू पहले ही लागू है।
झड़पों से पहले मणिपुर की जातीय हिंसा में मारे गए कुकी-जोमी समुदाय के लोगों के अंतिम संस्कार को रोक दिया गया। उच्च न्यायालय ने चुराचांदपुर में प्रस्तावित अंत्येष्टि स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का बृहस्पतिवार सुबह आदेश दिया। कुकी-जो समुदाय का संगठन ‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) भी 35 लोगों के अंतिम संस्कार को स्थगित करने पर सहमत हो गया। बिष्णुपुर जिले में हजारों स्थानीय लोगों के सुरक्षा बलों की आवाजाही बाधित करने के लिए सड़कों पर उतरने के कारण सुबह से ही तनाव व्याप्त है। महिलाओं की अगुवाई में स्थानीय लोगों ने सेना तथा आरएएफ जवानों द्वारा लगाए अवरोधकों को पार करने की कोशिश की। वे अंत्येष्टि स्थल तुइबुओंग तक जाने की अनुमति मांग रहे हैं।
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