नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मणिपुर में दो युवा आदिवासी महिलाओं को भीड़ द्वारा नग्न घुमाए जाने के वायरल वीडियो पर स्वत: संज्ञान लिया और केंद्र और राज्य सरकारों से 28 जुलाई तक कार्रवाई रिपोर्ट मांगी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि अगर सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो शीर्ष अदालत “कदम उठाने” के लिए बाध्य होगी। पीठ ने कहा, ”हम सरकार को कार्रवाई करने के लिए थोड़ा समय देंगे, अन्यथा हम कार्रवाई करेंगे।”
शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार से 28 जुलाई तक उठाए गए कदमों के बारे में उसे अवगत कराने को कहा।
अदालत ने कहा कि वह इस घटना से “अत्यधिक परेशान” है और इसे ” अत्याचार की पराकाष्ठा करार दिया।”
मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के एक दिन बाद चार मई को हुई इस घटना का वीडियो बुधवार को वायरल हुआ ।
इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के अनुसार, दोनों महिलाओं को भीड़ द्वारा नग्न अवस्था में घुमाने के बाद धान के खेत में सामूहिक बलात्कार किया गया।
इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना की निंदा की और इसे देश के 140 करोड़ लोगों के लिए शर्मनाक बताया।
संसद के मॉनसून सत्र से पहले मीडियाकर्मियों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “आज मेरा दिल दर्द और गुस्से से भर गया है. मणिपुर की जो घटना सामने आई है, किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मनाक है।” उन्होंने कहा मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।”
पीठ ने यह भी बताने को कहा कि भविष्य में ऐसी घटना न हो, इसके लिए उसने क्या उठाया है। पीठ ने इस वीडियो में दिखने वाली घटना को बेहद परेशान करने वाला बताते हुए कहा कि सरकार यदि इस मामले कार्रवाई नहीं करेगी तो अदालत इसकी अनदेखी नहीं कर सकती, वह अपना फर्ज निभाएगी। उच्चतम न्यायालय इस मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को करेगी।