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इंफाल (आईएएनएस)। मणिपुर सरकार ने विभिन्न संगठनों और आम जनता से कहा है कि वे जिलों, उप-मंडलों, स्थानों, संस्थानों के नाम न बदलें, क्योंकि इससे समुदायों के बीच टकराव पैदा हो सकती है और यदि कोई संगठन या व्यक्ति ऐसा करते पाया गया तो कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।
मणिपुर सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य में गैर-आदिवासी मैतेई और आदिवासी कुकी के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद कुछ संगठनों ने सरकार की जानकारी के बिना जातीय आधार पर और मान्यताओं के आधार पर जिलों, स्थानों और संस्थानों के नाम बदल दिए।
इन प्रवृत्तियों पर लगाम लगाने के लिए मणिपुर के मुख्य सचिव विनीत जोशी ने एक आदेश जारी कर लोगों और संगठनों से ऐसा कोई भी काम नहीं करने को कहा है, जिससे अधिकारियों के लिए समस्या पैदा हो।
मुख्य सचिव के आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार के संज्ञान में आया है कि कई सिविल सोसाइटी संगठन (सीएसओ), संस्थान और लोग जानबूझकर जिलों, उप-मंडलों, स्थानों, संस्थानों और ऐसे संस्थानों के पते का नाम बदल रहे हैं या बदलने की कोशिश कर रहे हैं।
आदेश में कहा गया है, “...ये कदम और कार्रवाइयां आपत्तिजनक हैं, इससे राज्य में रहने वाले समुदायों के बीच विवाद और संघर्ष पैदा करने की आशंका है, विशेष रूप से 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) द्वारा आयोजित जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद से बिगड़े कानून व्यवस्था के संदर्भ में।”
इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार इस मामले को बहुत गंभीरता से लेती है, क्योंकि इस तरह की प्रथाएं समुदायों के बीच अविश्वास पैदा कर सकती हैं और राज्य में विभाजन या कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका है।
आगे कहा गया है, "इस आदेश का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति पर देश के संबंधित कानून के तहत मुकदमा चलाया जाएगा। सभी केंद्रीय और राज्य सरकार के अधिकारियों, संस्थानों, प्रतिष्ठानों और स्वायत्त निकायों को भी सलाह दी जाती है कि वे सभी साइनेज में अपने संबंधित कार्यालयों/प्रतिष्ठानों के नाम और पते, आधिकारिक संचार, वेबसाइटें, प्रदान की गई सेवाओं से संबंधित सभी दस्तावेज़ आदि की जांच करें और आदेशों का अनुपालन भी सुनिश्चित करें।“
मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों और सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को आदेश को लागू करने के लिए जरूरी कार्रवाई करने को कहा है।
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