मणिपुर
'मणिपुर की घटना से देश में अलगाव पैदा करने की हो रही कोशिश
Tara Tandi
29 July 2023 12:20 PM GMT
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मणिपुर की घटना ने देश को शर्मसार कर दिया। प्रधानमंत्री को इस पर बयान देना पड़ा। विपक्ष इसे लेकर सरकार को घेर रहा है, लेकिन यह घटना दिखाती है कि मानव सभ्यता के मामले में हम कितने पीछे हैं। इस संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा के लिए 'खबरों के खिलाड़ी' में हमारे साथ वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक विनोद अग्निहोत्री, अवधेश कुमार, प्रेम कुमार और गुंजा कपूर मौजूद थे। इस चर्चा को अमर उजाला के यूट्यूब चैनल पर शाम पांच बजे लाइव देख सकते हैं। पढ़िए चर्चा के अहम अंश
प्रेम कुमार
'प्रधानमंत्री ने जिस तरह से मणिपुर की घटना को कानून व्यवस्था का मामला बताया, ये गलत है। ये जातीय हिंसा, सामूहिक हिंसा, प्रशासन की असफलता का प्रश्न है। वीडियो वायरल होने से पहले मुख्यमंत्री को भी खबर थी और वहां ऐसी कई घटनाएं होने की बात कही जा रही है। भीड़ ने पुलिस की मौजूदगी में इस शर्मनाक घटना को अंजाम दिया। अगर वीडियो वायरल नहीं होता तो शायद सरकार शर्मसार भी नहीं होती। घटना के बाद जो निष्क्रियता है, वह भी राजनीति है।'
अवधेश कुमार
'इस घटना पर टिप्पणी के लिए शब्द नहीं है। इससे पता चलता है कि मणिपुर के इस संघर्ष में और क्या-क्या हुआ होगा, इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है। हिंसा जब होती है तो मनुष्य सभी सीमाएं लांघ जाते हैं। मणिपुर में जारी हिंसा में अभी तक सैंकड़ों लोगों की मौत हुई है, 6700 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हुए हैं, हजारों विस्थापित हुए हैं। बड़ी संख्या में पलायन हुआ है। ऐसे हालात में सरकार की जिम्मेदारी बनती है। देश में अलगाव पैदा करने की कोशिश की जा रही है। इस देश की समस्या ये भी है कि जहां भाजपा सरकार है, वहां की घटनाओं से देश शर्मसार हो जाता है, लेकिन अन्य राज्यों की घटनाओं पर कोई बात नहीं होती। बंगाल में टीएमसी कार्यकर्ताओं ने भी ऐसी घटना को अंजाम दिया, लेकिन उस पर कोई बात नहीं हुई। मणिपुर में मैतई समुदाय के साथ भी क्या हो रहा है। मैतई में कोई हथियारबंद संगठन नहीं है, लेकिन कुकी जनजाति में हथियारबंद संगठनों का इतिहास रहा है।'
विनोद अग्निहोत्री
'घटना से पूरा देश शर्मसार, असहज और दुखी है। बात मैतई और कुकी की नहीं है। यह सवाल मणिपुर का है, महिलाओं का है। मुख्यमंत्री जब कहते हैं कि ऐसी सैकड़ों घटनाएं हुई हैं और हजारों एफआईआर हुई हैं तो फिर आप क्या कर रहे हैं? मौजूदा सरकार को शांत पूर्वोत्तर मिला था और इस शांति की वजह से ही वहां आधारभूत ढांचे का विकास हुआ है। सरकार मणिपुर को डील करने में असफल रही है। 1993 में नरसिम्हा राव की सरकार थी और मणिपुर में मैतई और कुकी के बीच संघर्ष हुआ तो नरसिम्हा ने तुरंत राज्य सरकार को बर्खास्त किया और शांति बहाली की गई, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। मणिपुर में इस कदर अलगाववाद फैल गया है कि सरकार पार्टी बन गई है, प्रशासन बंटा हुआ है। केंद्र को इससे सख्ती से डील करना चाहिए। पूर्वोत्तर में हिंसा के पीछे चीन के हाथ से इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन हम चीन को मौका ही क्यों दे रहे हैं? सरकार को पूर्वोत्तर के मुद्दों पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।'
गुंजा कपूर
'यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है। हमारे देश के नीति-निर्माताओं ने कभी नहीं सोचा होगा कि हम ऐसा देश बनाएंगे। हो सकता है कि मणिपुर राजनीतिक तौर पर बहुत आकर्षक राज्य नहीं है, वह देश के एक छोर पर है, लेकिन क्या वहां इस तरह की घटनाओं को होने की इजाजत दी जा सकती है? हम सभी इसके लिए जिम्मेदार हैं। सरकार भी जिम्मेदार है लेकिन इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए
Tara Tandi
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