महाराष्ट्र

युवा किसानों ने शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती, हो रहा है लाखों का मुनाफा

Deepa Sahu
15 Feb 2022 8:18 AM GMT
युवा किसानों ने शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती, हो रहा है लाखों का मुनाफा
x
महाराष्ट्र में ज्यादातर किसान अब पारंपरिक खेती छोड़कर बागवानी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं.

महाराष्ट्र में ज्यादातर किसान अब पारंपरिक खेती छोड़कर बागवानी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं. उदाहरण के लिए पालघर के किसानों (Kisan) को ही ले लीजिए. वो इन दिनों स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की बड़े पैमाने पर खेती कर हैं. उन्हें अब बागवानी फसलों की खेती में ज्यादा फायदा दिख रहा है. किसानों का कहना है कि पारंपरिक खेती से उन्हें इतना मुनाफा नहीं मिल रहा. उससे तो वो मुश्किल से अपनी लागत निकाल पाते थे.टीवी-9 डिजिटल से बातचीत में युवा किसान (Farmer)भावेश ने बताया कि कृषि विभाग (Agriculture Department) के मार्गदर्शन से हमने पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. अब हमें अच्छा मुनाफा हो रहा है. वहीं जिले कई किसानों ने अब फूलों की खेती ओर भी ध्यान देना शुरू किया है.युवा किसान ने बताया कि हम इस समय छोटे से खेत से रोजाना 20 से 25 किलो स्ट्रॉबेरी निकालते हैं. आगे 1 क्विंटल तक निलेगा. इस खेती से हम आदिवासी किसानों की अब आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है.

कैसे हुई स्ट्रॉबेरी खेती की शुरुआत
पालघर जिले के जवाहर मुखोड़ा तालुका के रहने वाले किसान भावेश ने कहा कि पहले हम धान की खेती करते थे लेकिन बदलते मौसम और लागत न निकाल पाने की वजह से हमने खेती में बदलाव करने का विचार किया. कृषि विभाग ने पहले हमें इस खेती के लिए ट्रेनिंग दी. फिर हम उनके मागर्दशन से स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. इससे हमें अच्छा मुनाफा हो रहा है. मैंने अपने 1 एकड़ जमीन में स्ट्रॉबेरी लगाई है और इससे रोज़ 20 से 25 किलो उत्पादन होता है. इसमें कम लागत के साथ ज्यादा मुनाफा हो रहा है इसलिए हम आगे भी बागवानी की खेती ही करेंगे.
कम खर्च में ज्यादा मुनाफा
किसान ने बताया स्ट्रॉबेरी की खेती लिए उनका 70 हज़ार रुपये के आस पास खर्च आता है. इसे हम 200 रुपये प्रति किलो के भाव से बाज़ारों में बेचते हैं. पालघर से स्ट्रॉबेरी मुंबई, नासिक, ठाणे इन जगहों पर हम भेजते हैं. भावेश ने बताया कि वो अभी बीकॉम की पढ़ाई कर रहे हैं. पढ़ाई के बाद बागवानी की खेती बड़े पैमाने पर करेंगे क्योंकि इसमें अच्छा मुनाफा हो रहा है. इससे गांव में ही लोगों को रोजगार भी मिलेगा. किसानों ने सरकार से मांग की है आदिवासी किसानों को इस खेती के लिए सब्सिडी प्रदान करें.
कृषि विभाग ने किया मार्गदर्शन
आदिवासी किसानों ने बताया कि कृषि अधिकारी अनिल गावित ने तालुका में सभी किसानों को एकजुट करके स्ट्रॉबेरी उत्पादन के बारे में जानकारी दी और सफलतापूर्वक प्रयोग किया है. गावित ने पालघर जिले के जवाहर और मोखाड़ा तालुका के दूरदराज के इलाकों में आदिवासी किसानों को आधुनिक कृषि के बारे में जानकारी दिलवाई.
कृषि को तकनीक से जोड़ा
पालघर जिले के जवाहर और मोखाड़ा तालुकाओं में दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों के किसान पारंपरिक तौर पर रागी और धान की खेती करते हैं. इसके अलावा कोई अन्य फसल नहीं उगाई जाती. रोजगार के अभाव में यहां बेरोजगारी बढ़ी है. बड़ी संख्या में आदिवासी परिवार जीवन निर्वाह के लिए शहर की ओर पलायन कर रहे हैं. इसलिए, कुछ सालों से ये तालुका हमेशा कुपोषण और बाल मृत्यु दर के कारण चर्चा में रहा हैं. लेकिन अब कुछ आदिवासी किसान खुद आधुनिक खेती की ओर रुख कर चुके हैं. इससे उनका जीवन बदला है. यह दूसरे किसानों के लिए मिसाल है. उन्होंने स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की है.
Next Story