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मुंबई : सहार पुलिस ने इमीग्रेशन अधिकारी की शिकायत पर तीन नेपाली महिलाओं के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया है। तीनों महिलाएं मुंबई से कुवैत (Kuwait) जा रही थी, तभी इमीग्रेशन अधिकारी ने उनके पास मौजूद पासपोर्ट और दूसरे दस्तावेज दिखाने के लिए कहा। नेपाल एंबेसी का एनओसी देखते ही अधिकारी समझ गए कि वह नकली है। जिसके बाद नेपाल एंबेसी से उस एनओसी को लेकर सत्यता की जांच के लिए पत्र भेजा गया। जिसमें एनओसी को फर्जी बताया गया। जिसके बाद मामले में एफआईआर दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक मामला 29 जुलाई की रात लगभग 12:30 बजे का है। जब तीन महिलाएं पूजा मगर, संगीता विश्वकर्मा और जीतू शेरपा मुंबई से कुवैत जाने के लिए केयू 302 नंबर की फ्लाइट पकड़ने वाली थी। लेकिन इमीग्रेशन क्लीयरेंस के वक्त जब उन्होंने अधिकारियों के सामने दस्तावेज रखा, तब उस पर शक हुआ और फिर उसकी सत्यता जानने के लिए नेपाल एंबेसी से संपर्क किया गया। जवाब में एंबेसी ने बताया कि वह एनओसी फर्जी है और फिर एफआईआर (FIR) दर्ज कर तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
दलालों से बनवाया था एनओसी
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक महिलाओं को कुवैत जाना था। जिसके लिए वे मुंबई से होकर कुवैत जा रही थी। कुवैत जाने के लिए उन्हें नेपाल एंबेसी की एनओसी की जरूरत थी। इसलिए उन्होंने दिल्ली के एक एजेंट विष्णु शर्मा से संपर्क किया। विष्णु शर्मा ने कोलकाता के रहने वाले रोहित शर्मा नामक एजेंट से संपर्क करवाया। उसने प्रत्येक एनओसी के पंद्रह हजार लिए गए। जिसके बाद उन्हें एनओसी तो दी गई, लेकिन वह फर्जी थी। फिलहाल पुलिस दस्तावेज कहां से और कैसे बनाएं इसको लेकर मामले की जांच करने में जुटी हुई है।
नेपाल एंबेसी ने बताया एनओसी को फर्जी
इमीग्रेशन अधिकारियों ने एनओसी की सत्यता को जांचने के लिए सबसे पहले एनओसी को मेल के जरिए नेपाल एंबेसी को भेजा। इसके अलावा व्हाट्सएप पर भी उन्हें एनओसी का फोटो भेजा गया। जिसके बाद एंबेसी ने मेल पर रिप्लाई करते हुए इमीग्रेशन अधिकारियों को बताया कि उनके द्वारा भेजी गई एनओसी पूरी तरीके से फर्जी है। जिसके बाद तीनों महिलाओं को पुलिस थाने में ले आया गया और फिर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया। मामले की जांच पुलिस द्वारा की जा रही है।
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