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धान उत्पादक तहसील के रुप में विख्यात मूल तहसील के वनक्षेत्र में जंगली जानवर खेत में खडी धान की फसल को चौपट कर किसानों को नुकसान पहुंचा रहे है
चंद्रपुर. धान उत्पादक तहसील के रुप में विख्यात मूल तहसील के वनक्षेत्र में जंगली जानवर खेत में खडी धान की फसल को चौपट कर किसानों को नुकसान पहुंचा रहे है. पहले ही किसान अतिवृष्टि की वजह से हलाकान है और अब जंगली जानवरों के उपद्रव की वजह से पुन: एक बार उन्हे संकट का सामना करना पड़ रहा है.
मूल तालुका विदर्भ में धान उत्पादक तालुका के रूप में प्रसिद्ध है. यहां उत्पादित धान की बाजार में भारी मांग है. तालुक में खरीफ मौसम में सबसे बड़ा क्षेत्र धान है. जंगली सूअरों का झुंड आता है और जंगल से सटे खेतों को नुकसान पहुंचाता है. इस वर्ष जुलाई और अगस्त में हुई अतिवृष्टि और बांधों का पानी छोडे जाने की वजह से किसानों की खेती पानी में डूबी रही. कई किसानों के खेतों से पानी उतरते समय बीज और पौधों को अपने साथ बहा ले गया. इसकी वजह से किसानों को दुबारा और तिबारा तक बुआई करनी पडी थी. पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसानों के लिए अब जंगली सुअर दुबले पर दो आषाढ़ वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे है.
नुकसान ग्रस्त किसानों को सरकार से मिलने वाला मुआवजा अति अल्प है, इसलिए पहले से पीड़ित किसान मांग कर रहे हैं कि सरकार जंगल से सटे गांवों की धान की फसलों को बचाने के लिए अनुदान पर कंटीली बाड उपलब्ध कराये जिससे किसान अपने खेतों की फसल को बचा सके. अन्यथा पहले ही अतिवृष्टि की मार झेल रहे किसानों के सामने भारी संकट होगा.
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