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उद्धव गुट ने चुनाव चिह्न और नाम को लेकर पक्षपात का आरोप लगाया, निर्वाचन आयोग को लिखा पत्र
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग पर चुनाव चिह्न और नाम के आवंटन में पक्षपात करने का आरोप लगाया। शिवसेना पर नियंत्रण को लेकर पार्टी के उद्धव गुट और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले समूह के बीच जोर आजमाइश चल रही है। अधिवक्ता विवेक सिंह के माध्यम से निर्वाचन आयोग को भेजे एक पत्र में शिवसेना के उद्धव गुट ने कहा, "माननीय आयोग के कई पत्रों और कार्रवाइयों ने प्रतिवादी के मन में पक्षपात की गंभीर आशंका को जन्म दिया है।"
उद्धव और शिंदे गुट को ये चिन्ह दिए गए
बीते हफ्ते निर्वाचन आयोग ने शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुटों को पार्टी के नाम और 'धनुष-बाण' चिह्न का इस्तेमाल करने से प्रतिबंधित कर दिया था। इससे 'असल शिवसेना' को लेकर जारी विवाद का समाधान लटक गया था। इस हफ्ते की शुरुआत में आयोग ने उद्धव गुट को 'शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे' नाम और 'मशाल' चुनाव चिह्न आवंटित किया था। वहीं, शिंदे समूह को 'बालासाहेबंची शिवसेना' नाम और 'दो तलवार व एक ढाल' चुनाव चिह्न दिया गया था। उद्धव गुट के वकील सिंह ने तर्क दिया कि निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र की अंधेरी पूर्व सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए शिंदे समूह द्वारा 'धनुष-बाण' चिह्न पर दावा जताए जाने के बाद पार्टी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया।
उद्धव गुट ने चुनाव आयोग पर लगाए ये आरोप
उद्धव गुट ने यह भी आरोप लगाया कि आयोग ने चुनाव चिन्ह और पार्टी नाम की पसंद से संबंधित अपना पत्र निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया था, जिससे यह प्रतिद्वंद्वी गुट सहित सभी के लिए सुलभ हो गया था। सिंह ने कहा, "यह आयोग द्वारा पार्टी नाम और चिह्न के आवंटन के संबंध में कोई भी फैसला लिए जाने और संभवत: याचिककर्ता द्वारा अपनी पसंद के प्रस्तावित नामों और चिह्नों की सूची सौंपे जाने से पहले ही किया गया था। इस तरह याचिकाकर्ता और उसके समूह को प्रतिवादी पर स्पष्ट रूप से अनुचित लाभ मिला।" सिंह ने दावा किया कि शिंदे गुट ने 'बड़ी चालाकी' से पार्टी नाम के लिए पहली और चुनाव चिह्न के लिए पहली व दूसरी पसंद के तौर पर वही नाम व चिह्न दिया था, जो उद्धव गुट ने चुना था।
जानें चुनाव आयोग का पक्ष
उन्होंने कहा, "अगर माननीय आयोग ने प्रतिवादी से प्राप्त एक विशेष पत्र को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से साझा नहीं किया होता तो ऐसा नहीं होता। इस एकतरफा और अनुचित कार्रवाई का इस्तेमाल कर याचिकाकर्ता ने यह सुनिश्चित किया कि नाम और चिह्न से संबंधित उसकी प्राथमिकताओं से प्रतिवादी को उसकी पहली पसंद वाला नाम और चिह्न न हासिल हो पाए।" सिंह ने कहा कि उद्धव गुट को 'मशाल' चिह्न के आवंटन से संबंधित आयोग के पत्र में इसका चित्र नहीं था, जबकि शिंदे समूह को भेजे पत्र में उसे दिए गए 'दो तलवार व एक ढाल' चुनाव चिह्न का बड़ा चित्र शामिल था। उन्होंने कहा, "यह कदम एक बार फिर याचिकाकर्ता को अनुचित लाभ दे रहा था।"