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- .... तो मैं बन जाता...
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मुंबई। शिवसेना से बगावत और देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के साथ सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने उध्दव ठाकरे वाली शिवसेना को लेकर लगातार खुलासा कर रहे है.एक अखबार को दिए गए साक्षात्कार में सीएम शिंदे ने कहा कि साल 2014 में मुझे उपमुख्यमंत्री बनाने के लिए भाजपा ने ऑफर दिया था लेकिन शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मना कर दिया था.खुलासा करते हुए सीएम शिंदे ने कहा कि भिवंडी में एक कार्यक्रम में तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुझसे कहा था कि आपको एक बड़ी नई जिम्मेदारी मिलने वाली है. लेकिन मुझे पता था कि शिवसेना इस पद को स्वीकार नहीं करेगी। अगर शिवसेना ने स्वीकार कर लिया होता तो उसी समय मैं उपमुख्यमंत्री बन जाता। बिना नाम लिए उद्धव ठाकरे पर तंज कसते हुए शिंदे ने कहा कि अच्छा हुआ की उस समय मैं डिप्टी सीएम नहीं बना नहीं तो मुझे देना ही पड़ता। उन्होंने कहा साल 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और शिवसेना की युति टूटना दुर्भाग्यपूर्ण था.युति को तोड़ने का हमने विरोध किया था लेकिन उस समय भी उध्दव ठाकरे ने मनमानी निर्णय लिया था. 2014 के लोकसभा चुनाव में हमारा गठबंधन था। विधानसभा के दौरान कुछ सीटों के बंटवारे से गठबंधन टूट गया। मेरी राय थी कि गठबंधन नहीं टूटना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से गठबंधन नहीं हो सका। शिवसेना और भाजपा अलग-अलग लड़े। लेकिन तब दोनों को एक साथ आने के अलावा कोई चारा नहीं था. मैं कुछ समय के लिए विपक्ष का नेता बना बाद में दोबारा दोनों का गठबंधन हो गया.
एमवीए गठबंधन का हमने किया था विरोध
एकनाथ शिंदे ने कहा की साल 2019 में, शिवसेना और भाजपा के बीच गठबंधन टूटने के बाद, महा विकास अघाड़ी सरकार बनी और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने। लेकिन मैं महाविकास आघाडी के गठन का भी विरोध कर रहा था। मैंने इसे नेतृत्व के कानों में डाल दिया। शिंदे से यह पूछे जाने पर की चर्चा के बावजूद आपको एमवीए सरकार में सीएम क्यों नहीं बनाया गया इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इस पर चर्चा करना ठीक नहीं है.
हमने किया कार्यक्रम
भाजपा और देवेंद्र फडणवीस के साथ सरकार बनाने पर सीएम शिंदे ने कहा कि ऐसा निर्णय लेने के लिए बहुत सोच विचार करना पड़ता है। यह कोई छोटा काम नहीं है। यह एक बड़ा कार्यक्रम है जो हमने किया है। उन्होंने कहा कि एमवीए सरकार में भले ही मुख्यमंत्री पद हमारे पास था लेकिन शिवसेना के विधायकों में इतना आक्रोश था? की ऐसा कार्यक्रम बनाया पड़ा. जब राजनीति में किसी के वजूद का सवाल उठता है कार्यकर्ताओ की जब अनदेखी की जाती है तो उन्हें सम्मान नहीं मिला तो ऐसी बड़ी घटनाएं होती हैं।"
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