महाराष्ट्र

बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि सीमा शुल्क विभाग द्वारा किसी परिसर को सील करना सख्त कार्रवाई के समान

Tara Tandi
26 July 2023 1:18 PM GMT
बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि सीमा शुल्क विभाग द्वारा किसी परिसर को सील करना सख्त कार्रवाई के समान
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बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि सीमा शुल्क विभाग द्वारा किसी परिसर को सील करना सख्त कार्रवाई के समान है, जिसके परिणामस्वरूप किसी अचल संपत्ति को रखने, इस्तेमाल करने और कब्जा करने के 'किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों के साथ छेड़छाड़' होती है। अदालत ने यह भी कहा कि विभाग के पास ऐसा करने का स्पष्ट अधिकार भी नहीं है।

न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने मंगलवार को पारित आदेश में कहा कि उनकी राय है कि तलाशी लेने की शक्ति का मतलब सील करने की शक्ति नहीं हो सकती है और सीमा शुल्क अधिकारियों को एक कंपनी के नवी मुंबई परिसर को खोलने का निर्देश दिया।
यह आदेश नारायण पावर सॉल्यूशंस की ओर से दायर याचिका पर पारित किया गया है। पावर सॉल्यूशंस ने वकील सुजय कांतावाला के जरिए याचिका दायर की थी, जिसमें नवी मुंबई में उनके कार्यालय परिसर को खोलने की मांग की गई थी। कांतावाला ने तर्क दिया था कि सीमा शुल्क विभाग के पास सीमा शुल्क अधिनियम के प्रावधानों के तहत परिसर को सील करने का अधिकार और अधिकार क्षेत्र नहीं है।
अदालत ने कहा, 'परिसर को सील करने की शक्ति एक कठोर शक्ति है। हमारी राय में ऐसी शक्तियों का इस्तेमाल तब तक नहीं किया जा सकता है जब तक कि कानून द्वारा इसे स्पष्ट रूप से प्रदान नहीं किया जाता है।' सीमा शुल्क अधिकारियों के पास सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 105 के तहत परिसर को सील करने की स्पष्ट शक्ति नहीं होगी। अदालत ने कहा कि परिसरों को सील करना एक कठोर कार्रवाई है।
पीठ ने कहा, 'इसका परिणाम किसी भी अचल संपत्ति को रखने, उसका इस्तेमाल करने और उस पर कब्जा करने के व्यक्ति के मौलिक अधिकारों के साथ छेड़छाड़ के रूप में सामने आता है। संपत्ति का इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए या अन्यथा किया जा सकता है, इसलिए परिसर को सील करने की किसी भी कार्रवाई का संविधान के अनुच्छेद 300 ए द्वारा गारंटीकृत परिसर का उपयोग करने और कब्जा करने के लिए व्यक्ति के कानूनी अधिकारों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।
इसमें कहा गया है कि सीलिंग की कार्रवाई इस तरह के कानूनी अधिकार को निलंबित करने या छीनने के समान होगी और यह व्यापार करने के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी, जो संविधान की धारा 19 (1) (जी) के तहत गारंटीकृत एक मौलिक अधिकार है।कांतावाला ने दलील दी कि कंपनी सीमा शुल्क विभाग की किसी भी जांच में सहयोग करने को तैयार है और अगर कंपनी के परिसरों की तलाशी ली जाती है तो उसे कोई शिकायत नहीं होगी।
सीमा शुल्क विभाग ने दावा किया कि कंपनी के परिसर को सील कर दिया गया क्योंकि वह जांच में सहयोग नहीं कर रही थी। हालांकि, उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि सीमा शुल्क अधिकारियों ने सीधे तौर पर कंपनी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की। अदालत ने कहा कि चूंकि कंपनी ने कहा है कि वह जांच में सहयोग करने की इच्छुक है, इसलिए सीमा शुल्क अधिकारियों को कार्यालय परिसर को सील करने की जरूरत है और वे इसकी तलाशी ले सकते हैं।
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