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- भीमा कोरेगांव मामले...
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज को डिफ़ॉल्ट जमानत दे दी है, लेकिन भीमा-कोरेगांव जाति हिंसा मामले में अन्य आठ आरोपियों की डिफ़ॉल्ट जमानत की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि सुधा भारद्वाज डिफ़ॉल्ट जमानत की हकदार थीं। सुधा भारद्वाज आठ दिसंबर को एक विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा। जहां उनकी जमानत की शर्तों को तय किया जाएगा। इससे पहले, जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जमादार की खंडपीठ ने भारद्वाज की जमानत याचिका को 4 अगस्त और आठ अन्य द्वारा किए गए आपराधिक आवेदन को 1 सितंबर तक सुरक्षित रखा था। एनआईए के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने आदेश के संचालन और कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की थी। अदालत ने यह कहते हुए राहत देने से इनकार कर दिया कि वह पहले ही अपने फैसले में आदेशों पर विचार कर चुकी हैं।
सुधा भारद्वाज उन 14 कार्यकर्ताओं, वकीलों और शिक्षाविदों में शामिल हैं, जो 2018 में पुणे के पास एक गांव में कथित तौर पर जातिगत हिंसा भड़काने की साजिश रचने के आरोप में जेल में हैं। आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी को इस मामले में अपने कमजोर स्वास्थ्य के बावजूद बार-बार जमानत से इनकार करने के बाद हिरासत में ही मौत हो गई थी। इससे पहले, फरवरी में, 81 वर्षीय तेलुगु कवि वरवर राव को चिकित्सा आधार पर जमानत दी गई थी।