महाराष्ट्र

पुणे में घरों की बिक्री में इतने प्रतिशत हुआ इजाफा

Rani Sahu
6 Aug 2022 2:22 PM GMT
पुणे में घरों की बिक्री में इतने प्रतिशत हुआ इजाफा
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कंस्ट्रक्शन सेक्टर (Construction Sector) के लिए काम करने वाली संस्था नाइट फ्रैंक इंडिया (Knight Frank India) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी से जून के बीच पुणे (Pune) में घरों की बिक्री (Sale of Houses) में 25 प्रतिशत का इजाफा हुआ है
-राकेश श्रीवास्तव
पुणे: कंस्ट्रक्शन सेक्टर (Construction Sector) के लिए काम करने वाली संस्था नाइट फ्रैंक इंडिया (Knight Frank India) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी से जून के बीच पुणे (Pune) में घरों की बिक्री (Sale of Houses) में 25 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इस दौरान 21,797 घरों की बिक्री हुई। यह 2012 के बाद केवल छह महीने में घरों की बिक्री का सबसे शानदार प्रदर्शन है। 2021 के वार्षिक सेल की तुलना में इस वर्ष के पहले छह महीने में 60 प्रतिशत सेल का आंकडा पूरा कर लिया गया है।
मेट्रो सेस और रेडी रेकनर की दर में बढ़ोतरी के बावजूद यह उल्लेखनीय उपलब्धि है। पुणे के आवासीय मार्केट के औसत रेट में 6 फीसदी की भी बढ़ोतरी हुई है। यह बताता है कि कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित पुणे ने किस तेजी से अपनी ग्रोथ को हासिल किया है, लेकिन बावजूद इसके अपने घर का सपना इतना भी आसान नहीं रह गया है। सपने और हकीकत के बीच की दूरियां इस कदर बढ़ गई है कि आम लोग घर खरीदने के सपने से दूर होने लगे है। मौजूदा समय में कंस्ट्रक्शन सेक्टर का ग्राफ भले ही ऊपर जाता नजर आ रहा हो, लेकिन जमीन और फ्लैट की बढ़ती कीमतों ने कल तक सच होने वाले घर के सपने को आज हकीकत से काफी दूर कर दिया है।
आम आदमी घर खरीदने के सपने से दूर होता जा रहा
कंस्ट्रक्शन सेक्टर भी पहले लंबी चली मंदी और उसके बाद कोरोना सेक्टर में बर्बाद होने के बाद बहुत हद तक संभल चुकी है। इसकी भरपाई फ्लैट की कीमतें बढ़ा कर करने की कोशिश हो रही है। एक तरफ कीमतें बढ़ रही हैं, वहीं आम आदमी घर खरीदने के सपने से दूर होता जा रहा है। एक तरफ फ्लैट की कीमत, उसकी स्टैम्प ड्यूटी का बढ़ना, जीएसटी और फिर मेट्रो सिटी में मेट्रो सेस ने फ्लैट की कीमतों को आसमान पर पहुंचा दिया है।
मेट्रो आने के बाद फ्लैट की कीमतें आसमान पर
पुणे में फ्लैट की कीमतें मेट्रो आने के बाद आसमान छूने लगी है। यही वजह है कि बहुत से फ्लैट बनकर तैयार होने के बावजूद उसे लेने वाला कोई नहीं है। एक आंकड़ें के मुताबिक, पुणे में इस वर्ष मई के आखिर तक 44,250 हाउसिंग प्रोजेक्ट फंसे थे जिसकी कीमत 27,533 करोड़ है। इससे पूर्व 2021 के आखिर में पुणे शहर में 48,100 हाउसिंग प्रोजेक्ट फंसे थे या उसमें देरी हुई जिसकी कीमत 35,220 करोड़ रुपए थी। इस वर्ष जनवरी से मई के बीच 3,850 फंसे हुए या देरी वाले घर कंपलीट हुए हैं। देश के सात बड़े शहरों में रुके हुए या जिन हाउसिंग प्रोजेक्ट में देरी हुई उनमें पुणे का शेयर 7% है। मसलन भले ही बिक्री में 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, लेकिन हाउसिंग प्रोजेक्ट के फंसे होने का आंकड़ा भी बहुत कुछ कहता है।
कोरोना के कारण लोगों को हुई परेशानी
बिल्डर की मजबूरी है कीमत बढ़ाकर बेचना है, लेकिन दूसरी तरफ आम नागरिकों की परेशानी ये है कि उनके पास इतने पैसे नहीं है। कोरोना काल में नौकरी जाने, सैलरी कम होने और संभावित खतरे ने लोगों को सतर्क और समझदार बना दिया है। उन्हें लगता है कि पैसे उनके पास हैं तो वह किसी भी मुसीबत से लड़ सकते है। घर खरीदने, वाहन खरीदने में पैसे देने को एक तरह से वह फिजुलखर्ची भी मान रहे है। बावजूद इसके फ्लैट की बिक्री हो रही है। लोग जमीन खरीद रहे है और व्यवसाय का नया सेटअप बिठा रहे है।
घर खरीदने का बजट बढ़ा
पुणे में गुंठेवाडी की जमीन पर बनी फ्लैट की संख्या लाखों में है जिसे महानगरपालिका ने अब तक नियमित नहीं किया है, लेकिन ऐसे फ्लैट की बिक्री खुलकर हो रही है। सरकार के पास प्रस्ताव है और कहा जा रहा है कि देर-सवेर इन फ्लैट को नियमित कर दिया जाएगा। बिल्डर के जरिए ऐसे फ्लैट के लिए लोन भी पास किए जा रहे हैं, लेकिन सरकारी बैंक साफ रुप से गुंठवाडी पर बने फ्लैट को लोन देने से बच रहे हैं। प्राइवेट या फाइनेंसियल संस्थाएं ऊंचे ब्याज रेट पर लोन जरुर दे रही है, लेकिन इससे घर खरीदने का बजट बढ़ रहा है।
अनधिकृत कंस्ट्रक्शन से मुसीबत
शहर में लगातार कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र से आ रही निगेटिव खबरों से भी परेशानी शुरू हुई है। शहर में बड़ी संख्या में अनधिकृत कंस्ट्रक्शन कराए जा रहे है, जिसकी वजह से लोन पास होने, कभी भी घर खाली करने की नौबत आने की स्थिति बनी रहती है, लेकिन महानगरपालिका की तरफ से ऐसे घरों को पानी, बिजली जैसी सुविधाएं दी गई है। लेकिन ये रेगुलर घर नहीं है। बिल्डरों ने अनधिकृत रुप से फ्लैट बनाकर बेच कर अपना हाथ झाड़ लिया है।
गुंठवारी जमीनों पर बने घर
पुणे में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां गुंठेवारी की जमीनों पर घर बने है। महानगरपालिका और सरकार की तरफ से इसे नियमित नहीं किया गया है, लेकिन ऐसे घरों में लोग वर्षों से रहते आ रहे है। और अभी भी धडल्ले से गुंठवारी जमीनों पर घर बन रहे है और उसकी बिक्री भी हो रही है। सरकार के पास 2010 के बाद बने गुंठवारे के घरों को नियमित करने का प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन वे नियमित नहीं हुए है। बताया जा रहा है कि आने वाले वर्षों में सरकार की तरफ से इसे कुछ फीस वसूल कर नियमित किया जाएगा।
367 आवेदन पेंडिंग
मिली जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र राज्य कोऑपरेटिव विभाग ने 52 फीसदी डीम्ड कन्वेयंस पिटीशन मुंबई, पुणे और नाशिक से एप्रूव्ड किया है। पिछले वित्त वर्ष में इस तरह के 76 आवेदन पेंडिंग थे। डीम्ड कान्वेयंस के 767 आवेदन में से 400 आवेदन रिसीव हुए है। इनमें अभी भी 367 आवेदन पेंडिंग है।
Rani Sahu

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