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![शिवसेना जैसे NCP में दो फाड़! क्या होगा पार्टी का हाल शिवसेना जैसे NCP में दो फाड़! क्या होगा पार्टी का हाल](https://jantaserishta.com/h-upload/2023/07/02/3107298-download-3.webp)
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महाराष्ट्र में बड़ा सियासी खेल हो गया है. अब से NCP नेता अजित पवार महाराष्ट्र के नए डिप्टी सीएम होंगे, वहीं उनके साथ अन्य 9 NCP नेताओं ने भी महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पद की शपथ ली है. महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में रविवार को राजभवन में अजित पवार और उनके साथी विधायकों ने शपथ ली है. इस बड़े सियासी परिवर्तन के बाद अब इसे लेकर कई सवाल खड़े होने लगे हैं. आखिर क्या अब महाराष्ट्र की सरकार में दो डिप्टी सीएम रहेंगे, या फिर NCP का भी वही हाल होगा जो कुछ समय पहले शिवसेना का हुआ था. तो आइये महाराष्ट्र के हर वक्त बदलते इस समीकरण को बारीकी से समझें...
अगर यू-टर्न लिया तो...
बता दें कि महाराष्ट्र की सियासत में आए इस उलटफेर पर ये तमाम सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं, क्योंकि महाराष्ट्र की राजनीति में ये पहली बार नहीं है, जब अजित पवार ने अपनी पार्टी के खिलाफ ऐसे बगावती सुर अपनाए हों. बात साल 2019 की है, जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कोई भी पार्टी बहुमत के करीब नहीं पहुंच पाई थी, ऐसे में भाजपा की सरकार बनाने के लिए अजित पवार ने NCP से बगावती सुर अपना कर देवेंद्र फडणवीस को समर्थन दिया था, साथ ही उन्होंने अपने साथ NCP के 54 विधायकों के समर्थन का आश्वासन भी दिया था. अजित पवार खुद भी फडणवीस सरकार में तीन दिन के लिए डिप्टी सीएम रहे थे. हालांकि इसके बाद NCP नेता अजित पवार ने अपना समर्थन वापस ले लिया था और सरकार धराशायी हो गई, लिहाजा कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या फिर से अजित पवार कुछ ऐसा ही यू-टर्न लेंगे?
विरासत की लड़ाई...
इस वक्त आए महाराष्ट्र की सियासत में उसटफेर के बीच, अजित पवार का दावा है कि उनके पास NCP के कुल 54 विधायकों में से, 40 विधायकों का समर्थन है. इसका मतलब करीब-करीब 2/3 सीटें, जो पार्टी तोड़ने के लिए काफी है. ऐसे में ये स्थिति हूबहू वैसी ही है, जैसे एक साल पहले शिवसेना की थी. जब एकनाथ शिंदे और उद्धव गुट के बीच तकरार के बाद फडणवीस सरकार को समर्थन दिया, और एकनाथ शिंदे ने अपने खेमे के कुछ विधायकों के साथ भाजपा के साथ सरकार बनाने का दावा ठोंका दिया. न सिर्फ इतना, बल्कि कानूनी लड़ाई के बाद असली शिवसेना का नाम भी हासिल कर लिया. ऐसे में यहां एक और सवाल है कि क्या आखिर NCP के साथ भी यही होगा?
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