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महाराष्ट्र
सूडान की कंपनी को हाई कोर्ट का झटका, 12.92 करोड़ की गारंटी जमा करने के आदेश
Rani Sahu
1 Sep 2022 9:15 AM GMT
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सूडान की कंपनी को हाई कोर्ट का झटका
नागपुर. चावल के निर्यात को लेकर किए गए एग्रीमेंट का पालन नहीं किए जाने से भारी नुकसान हुआ है. एग्रीमेंट के नियमों के अनुसार समझौता की प्रक्रिया तो की जा सकती है लेकिन इसके पूर्व प्रतिवादी पक्ष सूडान की कंपनी आब्रीन फैक्ट्री फॉर फूड स्टफ एंड पैकेजिंग को 12,92,95,259 रु. जमा करने आदेश देने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की गई. याचिका पर लंबी दलीलों और बहस के बाद न्यायाधीश विनय जोशी ने प्रतिवादी कंपनी को 12 सप्ताह के भीतर उक्त राशि की गारंटी जमा करने के आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. साहिल देवानी ने पैरवी की.
याचिकाकर्ता ने किया इंटरनेशनल कमर्शियल कॉन्ट्रैक्ट
याचिकाकर्ता ने पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता की कंपनी नियमों के अनुसार पंजीकृत है जिसके आधार पर उन्होंने सूडान की कंपनी के साथ इंटरनेशनल कमर्शियल कॉन्ट्रैक्ट करने का निर्णय लिया. 16 जनवरी 2018 और 20 फरवरी 2018 को अलग-अलग 2 कॉन्ट्रैक्ट किए गए जिनमें याचिकाकर्ता को स्वर्णा राइस और पर बाइल्ड राइस जैसी 2 किस्मों का चावल बेचना था. प्रतिवादी सूडान की कंपनी इसे कमर्शियल कॉन्ट्रैक्ट के तहत इसे खरीदने के लिए तैयार हुई. सुनवाई के दौरान कॉन्ट्रैक्ट की कापी भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत की गई. एग्रीमेंट के अनुसार सामग्री भेजे जाने के बाद की पूरी जिम्मेदारी खरीददार की होने पर अदालत का ध्यानाकर्षित भी किया गया.
अचानक चावल भेजने से रोक दिया
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि सूडान की कंपनी ने अचानक ही बाइल्ड राइस नहीं भेजने की सूचना दी, जबकि चावल भेजने की पूरी तैयारी हो चुकी थी जिससे याचिकाकर्ता ने 20 मई 2019 को पत्र भेजकर पूरे व्यवहार और उससे होने वाले नुकसान से कंपनी को आगाह किया. नुकसान को लेकर तैयार किया गया लेखा-जोखा भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया.
याचिकाकर्ता की ओर से दायर शपथपत्र में बताया गया कि वह समझौते की प्रक्रिया के लिए तैयार है जिसके लिए पहले ही आवेदन किया जा चुका है. इसमें याचिकाकर्ता को ही लाभ होने का दावा भी किया गया लेकिन नियमों के अनुसार याचिकाकर्ता के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए अंतरिम आदेश जारी करने का अधिकार कोर्ट को है.
अदालत को बताया गया कि प्रतिवादी कंपनी को हाई कोर्ट का नोटिस भेजने के कई प्रयास किए गए लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली है. सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता का दावा पुख्ता है. यहां तक कि सूडान की कंपनी ने सम्पत्ति और दायित्व का लेखाजोखा भी प्रस्तुत नहीं किया है. अत: गारंटी के रूप में उक्त निधि जमा करने के आदेश दिए.
Rani Sahu
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