- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- शिंदे सरकार तय करेगी...
x
मुंबई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को एक और झटका दिया है। शिंदे ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) को पत्र लिखकर महाविकास आघाड़ी सरकार की तरफ विधान परिषद के लिए प्रस्तावित 12 विधायकों के नाम की सूची को वापस लेने का अनुरोध किया है। मिली जानकारी के अनुसार राज्यपाल ने मुख्यमंत्री का यह अनुरोध स्वीकार कर लिया है। अब शिंदे सरकार की तरफ से कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कर 12 नामों की नई सूची राज्यपाल को भेजी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को पत्र भेजा है, जिसमें महाविकास आघाड़ी सरकार की तरफ से भेजी गई 12 विधायकों की सूची को वापस लेने का अनुरोध किया गया है। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की मांग को मंजूर कर लिया है। ऐसे में शिंदे गुट और भाजपा की तरफ से राज्यपाल को नई सूची भेजी जाएगी। इसका मतलब यह है कि विधानपरिषद के 12 सदस्यों के नाम शिंदे गुट और भाजपा मिलकर तय करेंगी।
जल्द ही भेजी जाएगी नई सूची
मिली जानकारी के अनुसार जल्द ही शिंदे सरकार की तरफ से राज्यपाल को नई सूची भेजी जाएगी। शिंदे सरकार ने महाविकास आघाड़ी सरकार की तरफ से भेजी गई सूची को वापस लेने के फैसले से उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका दिया है। इसके पहले तत्कालीन महाविकास आघाड़ी सरकार ने ढाई साल के शासन के दौरान राज्यपाल को दो बार सूची भेजी थी, लेकिन राज्यपाल ने तकनीकी और कानूनी मुद्दों को उठाते हुए इसे मंजूरी प्रदान नहीं की। इस वजह से महाविकास आघाड़ी सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद पैदा हो गया और मामला अदालत तक पहुंच गया। अदालत ने कहा था कि राज्यपाल को लंबे समय तक कैबिनेट के फैसले को लटकाकर नहीं रखना चाहिए। अदालत ने अपेक्षा व्यक्त की थी कि राज्यपाल और सरकार के बीच समन्वय होना चाहिए, तभी राज्य का कामकाज ठीक तरीके से चल सकेगा।
अजित पवार ने राज्यपाल को घेरा
महाविकास आघाड़ी सरकार की तरफ से भेजी गई सूची को वापस लेने के मुद्दे पर पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि लोकतांत्रिक पद्धति से बनी महाविकास आघाड़ी सरकार ने कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कर नाम दिए थे। हमने कई बार राज्यपाल महोदय से इस बारे में निवेदन किया था। वे कहते थे कि मैं देख रहा हूं...मेरा काम चालू है...यह..वो..। लेकिन आखिरी में कुछ भी नहीं हुआ। अजित पवार ने कहा कि राज्यपाल का पद बड़ा है..उन्हें अधिकार मिले हुए हैं..इसलिए इस मामले में हम ज्यादा टीका- टिप्पणी नहीं कर सकते। जनता को तय करना है कि यह सब लोकतांत्रिक पद्धति से चल रहा है या नहीं?
Next Story