महाराष्ट्र

दूसरा अंतर्राष्ट्रीय सावित्रीबाई फुले अवार्ड कालिंदी कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर Meena Chiranda को

Gulabi Jagat
4 Jan 2025 1:55 PM GMT
दूसरा अंतर्राष्ट्रीय सावित्रीबाई फुले अवार्ड कालिंदी कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर Meena Chiranda को
x
India: अन्तरराष्ट्रीय माता सावित्रीबाई फुले शोध संस्थान जनवरी 2025 के अंतिम सप्ताह में शिक्षा की क्रांति ज्योति जलाने वाली , राष्ट्रमाता, भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की 194 वीं जयंती के अवसर पर शिक्षा, साहित्य, कला, संस्कृति, पत्रकारिता एवं समाजसेवा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य और उल्लेखनीय योगदान देने वाली 25 विशिष्ठ विभूतियों को माता सावित्रीबाई फुले अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित करेगा। यह जानकारी शनिवार को माता सावित्रीबाई फुले की जयंती के अवसर पर संस्थान के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन तथा महासचिव प्रो. के.पी. सिंह ने दी है । उन्होंने बताया है कि इस सम्मान के लिए ज्यूरी बोर्ड बनाया गया है। प्रोफेसर पी.ड़ी. सहारे को ज्यूरी बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है। संस्थान के पास 100 से अधिक विशिष्ट महिलाओं व पुरुषों के आवेदन आ चुके हैं जिसकी जल्द ही घोषणा ज्यूरी बोर्ड द्वारा कर दी जाएगी।
संस्थान के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि संस्थान की ओर से 25 महिलाओं व पुरुषों को सम्मानित किया जाएगा। इस बार ज्यूरी बोर्ड ने निर्णय लिया है कि दूसरा माता सावित्रीबाई फुले अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड कालिंदी कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर मीना चिरांदा को दिया जाएगा। प्रोफेसर मीना चिरांदा ने बालिकाओं की शिक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सम्मान स्वरूप उन्हें प्रशस्ति पत्र, शाल, स्मृति चिह्न और ग्यारह हजार रुपये की धनराशि भेंट की जाएगी। इसके अतिरिक्त सामाजिक कार्यकर्ता एवं महिला अधिकारों के लिए निरंतर संघर्ष करने वाली विशिष्ट महिलाओं व पुरुषों को भी सम्मानित किया जाएगा। इसमें विवेकानंद कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर पिंकी मौर्य , डिप्टी डीन प्रोफेसर गीता सहारे , प्रोफेसर अरुण चौधरी , के. योगेश , डॉ.बलवान सिंह बिबयान , गाँधी भवन के निदेशक प्रोफेसर के .पी. सिंह , प्रोफेसर मनोज कुमार कैन ( हिन्दी विभाग ,पीजीडीएवी कॉलेज ) डॉ. मनोज वर्मा ( संसद टीवी एंकर ) केंसर विशेषज्ञ डॉ.विष्णु मूर्ति को इस वर्ष का सावित्रीबाई फुले अवार्ड दिया जाएगा । बाकी नामों की सूचना भी जल्दी ही ज्यूरी आगामी बैठक में घोषित करेगी।
डॉ. सुमन ने बताया है कि माता सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका थीं। उनका जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा ज़िले के नायगाँव में हुआ था। सावित्रीबाई फुले एक समाज सुधारक, शिक्षिका और कवयित्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। सावित्रीबाई फुले ने अपने जीवन को एक मिशन बना दिया था। उनका उद्देश्य था कि विधवाओं का विवाह हो, छुआछूत खत्म हो, महिलाओं को अपनी उन्नति के लिए आज़ादी मिले। दलित महिलाओं को शिक्षा का अधिकार मिले। सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर सन् 1848 में पुणे के भिड़ेवाड़ा में लड़कियों के लिए पहला आधुनिक भारतीय स्कूल खोला था। यद्यपि माता सावित्रीबाई फुले के इस कार्य में सवर्ण समाज काफी व्यवधान डाला था। उन्हें गालियाँ दी जाती थीं, पत्थर मारे जाते थे, उन पर कीचड़, गोबर और मानव-मल फेंका जाता था। वे अपने साथ दो कपड़े लेकर जाती थीं। जिससे कि गंदे किए गए कपड़े बदल सकें। इतने विरोध के बावजूद वे स्त्रियों के अधिकारों और उनकी शिक्षा के लिए संघर्ष करती रहीं। उनका उद्देश्य था कि स्त्रियों को समाज में बराबर का दर्जा मिले पुरुषों के समान उन्हें भी शिक्षा और स्वावलंबन का अधिकार मिले।
डॉ.सुमन ने बताया है कि बालिकाओं की शिक्षा के लिए अलग विद्यालय खोलना यह विश्व इतिहास की पहली घटना थी। आजादी के बाद भारत में बालिकाओं के लिए अलग विद्यालय और विश्वविद्यालय की योजना माता सावित्रीबाई फुले की ही देन है। माता सावित्रीबाई फुले ने समाज में जाति और लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव और अन्याय को खत्म करने के लिए काम किया था। उन्होंने अपने घर का कुआँ दलितों को पानी लेने के लिए खोल दिया था। उस समय सवर्ण समाज ने दलितों को सार्वजनिक तालाबों और कुओं से पानी लेने पर पाबंदी लगाई थी। माता सावित्रीबाई फुले ने विधवाओं के लिए आश्रम खोला था। यह व्यवस्था पहली बार भारतीय परिवेश में की जा रही थी। उन्होंने आगे बताया कि अनेक कठिनाइयों और समाज के प्रबल विरोध के बावजूद महिलाओं का जीवन स्तर सुधारने व उन्हें शिक्षित तथा रूढ़िमुक्त करने में सावित्रीबाई फुले के कार्यों को भुलाया नहीं जा सकता है।
संस्थान के महासचिव प्रोफेसर के.पी.सिंह ने कहा कि इस शोध संस्थान का उद्देश्य माता सावित्रीबाई फुले के कार्य को आगे बढ़ाना रहा है। उनकी स्मृति में यह संस्थान प्रति वर्ष उनके जन्मदिन पर शिक्षा, साहित्य, कला व संस्कृति , शोध व पत्रकारिता में योगदान देने वाली सामाजिक कार्यकर्ता, विशिष्ट महिलाओं व पुरुषों को सम्मानित करता है । उन्होंने बताया है कि माता सावित्रीबाई फुले की प्रेरणा वर्तमान समाज के व्यवस्थित विकास के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है । रूढ़िवादी पिछड़े समाज में सुधार के लिए स्त्रियों को शिक्षित करना आवश्यक है। एक शिक्षित महिला ही समाज को उचित दिशा दे सकती है। यह शिक्षा ही स्त्रियों के व्यक्तित्व विकास और स्वावलंबन में सहायक हो सकती है। इसीलिए माता सावित्रीबाई फुले के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए समाज के हरेक तबके को आगे आना चाहिए।
Next Story