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कम हुई सेविंग, किचन का बजट गड़बड़ाया, मिडिल क्लास पर पड़ी GST की बढ़ी दरों की मार
केंद्र सरकार ने डेयरी प्रोडक्ट्स दही, लस्सी, पनीर, छाछ, आटा-चावल जैसी रोजमर्रा की चीजों पर 5 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला किया है. इसे 18 जुलाई से अमल में लाया जा रहा है. इन तमाम वस्तुओं के दाम बढ़ जाने से महिलाएं खासी चिंतित नजर आ रही हैं. इससे बहुत से लोगों, खासकर महिलाओं ने नाराजगी जताई है. आजतक ने नागपुर और कानपुर में कुछ परिवारों से बातचीत की और ये जानने की कोशिश की है कि जीएसटी की वजह से उनके घरेलू बजट पर क्या असर पड़ेगा.
नागपुर की रहने वाली ममता ने बताया कि वे गृहिणी हैं. उनके पति राजेश गटागट पेशे से सीए हैं. महीने में 60 हजार रुपये कमाते हैं. परिवार में चार सदस्य हैं. पहले प्रति महीना 40 हजार रुपये का खर्चा होता था. इसमें घर का रेंट, बेटी की स्कूल से जुडे़ खर्च, पेट्रोल, मेडिकल शामिल था. घर में महीनेभर का 6,000 रुपये का तो राशन ही आता था. ममता कहती हैं कि अब जरूरत की चीजें जीएसटी के दायरे में आने से बजट पर सीधे असर पड़ेगा. अब इन्हें 7,500 रुपये देने होंगे. यानी राशन पर अतिरिक्त 1,500 रुपये का बोझ पड़ेगा.
एक अन्य गृहिणी मेधा निलेश चिटगोपेकर ने भी घरेलू बजट को लेकर परेशानी बयां की. मेधा कहती हैं कि वे पेशे से गृहिणी हैं. उनके पति एक ऑटोमोबाइल कंपनी में कार्यरत हैं. 50 हजार सैलरी है. घर में महीनेभर का 4,000 रुपए का राशन लगता है. अब जरूरत की चीजें महंगी होने से हर महीने 1,000 का ज्यादा खर्च आना तय है. मेधा ने बताया कि कुछ साल पहले उन्होंने नागपुर के बेसा इलाके में फ्लैट खरीदा है. जिसकी EMI 25,000 प्रति महीना देना होती है. एक बेटा है, जिसके स्कूल की महीने की फीस 10,000 रुपये है.
कानपुर में सरबजीत बोलीं- अब अनपैक्ड आइटम खरीदेंगे
इसी तरह, कानपुर की सरबजीत कौर का हाल है. उनके परिवार में 5 सदस्य हैं. सरबजीत के पति जॉब करते हैं और 80 हजार रुपए आय होती है. सरबजीत बताती हैं कि महीनेभर का घर में करीब 15 हजार का राशन आता है. GST बजट के बाद करीब 3 हजार रुपए खर्च बढ़ने की उम्मीद है. सरबजीत कहती हैं कि अब वह पैक्ड आइटम खरीदने की बजाय स्थानीय अनपैक्ड उत्पाद खरीदने की सोच रही हैं. उन्होंने कहा कि अब रोजमर्रा का सामान महंगा हो रहा है. ऐसे में लोगों के बजट पर अधिक बोझ पड़ेगा.
बड़े पैकेट खरीदेंगे तो ज्यादा खर्च बढ़ जाएगा
सरबजीत कहती हैं कि हमें पहले से ही राशन बजट पर अपने खर्च का इंतजाम करना होता है. बच्चों की शिक्षा जैसे अन्य खर्च हैं, जिन पर ध्यान रखने की जरूरत होती है. रोजमर्रा की जरूरी चीजों पर टैक्स लगने से परेशानी बढ़ने वाली है. सरबजीत का कहना है कि हम अब स्थानीय जनरल स्टोर से अनपैक्ड प्रोडक्ट को खरीदने पर विचार कर रहे हैं. ये आइटम बजट में मिल जाएंगे. उन्होंने ये भी चिंता जताई है कि जीएसटी से बचने के लिए किराना के बड़े पैकेट खरीदते हैं तो मासिक बजट गड़बड़ा जाएगा.
कार की किस्त भी जमा करनी होगी
सरबजीत बताती हैं कि उन्हें अपनी कार की EMI भी भरनी होती है. साथ ही मेडिकल सुविधाओं के रेट भी बढ़ गए हैं. ऐसे में इलाज करना महंगा हो जाएगा. उनकी सास डायबिटीज से पीड़ित हैं और उन्हें BP की समस्या है और उन्हें नियमित जांच की जरूरत है. सरबजीत ने सरकार से लोगों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है.
बता दें कि अब केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने प्रीपैकेज्ड और लेबल पर जीएसटी से जुड़ी कई बातों पर सफाई दी है. इसके मुताबिक अगर आटा, चावल जैसी खाद्य सामग्री की पैकिंग लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2009 के तहत की जाती है तो उस पर 5 फीसदी जीएसटी लगेगा. इसके अलावा, एक पैकेट का वजन 25 किलो से ज्यादा होने पर ही जीएसटी में छूट मिलेगी.