महाराष्ट्र

महाराष्‍ट्र में रोचक होगा राज्‍यसभा चुनाव, 6 सीटों पर 7 उम्‍मीदवार मैदान में

Renuka Sahu
10 Jun 2022 1:58 AM GMT
Rajya Sabha elections will be interesting in Maharashtra, 7 candidates are in the fray for 6 seats
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फाइल फोट 

महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव की लड़ाई अंतिम क्षणों में दिलचस्प होती जा रही है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महाराष्ट्र (Maharashtra) में राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Elections) की लड़ाई अंतिम क्षणों में दिलचस्प होती जा रही है. राज्य की छह सीटों पर सात उम्मीदवार मैदान में हैं. सत्र न्यायालय ने दो वरिष्ठ विधायकों अनिल देशमुख और नवाब मलिक की मतदान करने की याचिका को खारिज कर दिया है. इस वजह से इस चुनावी जंग में एक और नाटकीय मोड़ आ गया है. एनसीपी के दोनों विधायकों ने स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में वोट डालने की मंजूरी देने के लिए याचिका दायर की थी. अदालत ने दोनों की याचिकाओं को खारिज कर दिया है.

इसके बाद मलिक और देशमुख ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उनकी याचिकाओं पर शुक्रवार सुबह सुनवाई होगी है. यदि दोनों को मतदान की अनुमति नहीं मिलती है तो सत्ताधारी पार्टी का गणित गड़बड़ा सकता है. सत्तारूढ महाविकास आघाडी के पास तीन सीटें जीतने का संख्या बल है. भाजपा अपने 106 विधायकों के दम पर दो सीटें आसानी से जीत रही है. शेष बचे मतों के जरिए छठी सीट जीतने की शिवसेना ने कोल्हापुर के संजय पवार पर अपना दांव खेला है, जबकि इस खेल को बिगाड़ने के लिए भाजपा ने भी धनंजय महाडिक को मैदान में उतारा हैं.
सारा पेंच छठी सीट को लेकर फंसा
भाजपा के पीयूष गोयल और अनिल बोंडे, कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी के अलावा शिवसेना के संजय राऊत आसानी से राज्यसभा पहुंचते दिख रहे हैं. एनसीपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल को टिकट दिया है. उनकी राह में कोई बाधा नहीं है. सारा पेंच छठी सीट को लेकर फंसा है. भाजपा को धनंजय महाडिक की जीत के लिए 13 अतिरिक्त वोटों की दरकार है, जबकि शिवसेना के लिए यह आंकड़ा 15 वोटों का है. ऐसे में नवाब मलिक और अनिल देशमुख को मतदान की अनुमति नहीं मिलती है तो यह आंकड़ा 19 तक पहुंच जाएगा. क्योंकि हाल ही में शिवसेना के एक विधायक का निधन हो गया है.
विधायकों की 'बगावत' का डर
महाविकास आघाडी सरकार के दो मुख्य घटक शिवसेना और कांग्रेस को अपने विधायकों में सेंध लगने का डर सता रहा है. खासतौर पर भाजपा के आत्मविश्वास को देखते हुए तीनों पार्टियां किसी तरह का कोई जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं है. तीनों पार्टियों ने अपने विधायकों को सीनियर नेताओं की निगरानी में होटल में रखा है. कांग्रेस के विधायकों में भी राज्य के बाहर के इमरान प्रतापगढ़ी को टिकट देने को लेकर नाराजगी है. ऐसे में पार्टी लाइन के विरोध में जाकर भी मतदान करने के स्वर उठ रहे थे. ऐसे में पार्टी ने अपने सभी विधायकों को एक जगह पर इकठ्ठा किया है. साथ ही उनकी नाराजगी दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास किए गए हैं.
छोटी पार्टियों पर बड़ा दांव
राज्यसभा चुनाव के आखिरी दौर में छोटी पार्टियों का रोल अहम हो गया है. देशमुख और मलिक को वोट देने की अनुमति नहीं मिलने पर महाविकास आघाडी को तीन वोटों का नुकसान होगा. क्योंकि शिवसेना की विधायक रमेश लटके का भी हाल ही में निधन हो गया है. ऐसे में गठबंधन की कुल संख्या 166 हो गई है. ऐसे में शेकपा, बहुजन विकास आघाडी, सपा और एमआईएम जैसी छोटी पार्टियों की अहमियत बढ़ गई है. सपा ने आखिर वक्त पर अपने दो विधायकों के समर्थन का ऐलान किया है. बहुजन विकास आघाडी ने अपने पत्ते अभी तक खोले नहीं है. 9 निर्दलीय विधायक भी सरकार के साथ बताए जा रहे हैं.
औवेसी की पार्टी के दो विधायकों के लिए बैक डोर पॉलिटिक्स शुरू
महाविकास आघाडी को एमआईएम के वोट की दरकार है, लेकिन खुलकर कोई भी ऑफर करने से डर रहा है. ऐसे में औवेसी की पार्टी के दो विधायकों के लिए बैक डोर पॉलिटिक्स शुरू है. सूत्रों की मानें तो शिवसेना इस पूरे खेल से खुद को दूर रखना चाहती है. इसलिए शिवसेना की जगह एनसीपी और कांग्रेस की तरफ से एमआईएम को ऑफर दिया जा सकता है. यदि ऐसा होता है तो एनसपी और कांग्रेस के दो वोट शिवसेना को मिल जाएंगे. भाजपा के लिए भी राह आसान नहीं है. उसके तीन विधायक बीमार है. ऐसे में पार्टी उनको एयर लिफ्ट कर मतदान के लिए लाने की तैयारी में है. इतना ही नहीं पार्टी को मनसे और अन्य छोटे दलों से समर्थन की उम्मीद है. हालांकि, भाजपा की जीत केवल विरोधी दलों में सेंध लगने पर ही संभव है.
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