महाराष्ट्र

कास पठार पर प्रदूषण मुक्त पर्यटन

Rani Sahu
22 Sep 2022 5:21 PM GMT
कास पठार पर प्रदूषण मुक्त पर्यटन
x
मुंबई। सातारा जिले के कास पठार ( Kas Pathar) पर अब प्रदूषण मुक्त (pollution free) और पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन होगा। पर्यटन मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा (Mangal Prabhat Lodha) ने वहां वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए 4 ई-बस सेवा सहित बॉयो टॉयलेट सुविधा का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि कास पठार में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वॉक-वे, दर्शक गैलरी शुरू की जाएगी। साथ ही स्थानीय लोगों का रोजगार बढ़ाने की योजना, सुरक्षा और ठोस कचरे का प्रबंधन किया जाएगा।
लोढ़ा ने कहा कि पर्यटन विकास के लिए सभी का सहयोग जरूरी है। स्विट्जरलैंड से भी खूबसूरत कास पठार की पर्यटन विरासत को संरक्षित करने के लिए पर्यटन विभाग के माध्यम से प्रयास किए जा रहे हैं। वहां जंगली जानवरों की संख्या बढ़ाने और कास पठार को प्राकृतिक रूप से खिलने के लिए पर्यावरण के अनुकूल उपाय करने पर जोर दिया जा रहा है। सरकार ने नयी महाबलेश्वर नीति तय की है, उसमें कास पठार के विकास को निश्चित तौर पर गति मिलेगी।
विधायक शिवेंद्रसिंहराजे भोसले ने कहा कि कास पठार में प्रदूषण को रोकने के लिए प्रायोगिक आधार पर ई-बस की सेवा शुरू करना सरकार का अच्छा फैसला है। कास पठार पर प्रदूषण कम करने के लिए कलेक्टर ने ग्राम पंचायत व वन विभाग के साथ नियमित बैठकें की हैं। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि यहां आने वाले पर्यटकों को अधिक सुविधाएं प्राप्त करने और नए पर्यटन स्थल बनाने में हमेशा सहयोग मिलेगा।
सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में सतारा शहर से 25 किलोमीटर दूर स्थित कास पठार में सितंबर और अक्टूबर के महीने में तकरीबन 10 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं। इस पठार पर पौधों और तितलियों की लगभग 850 विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं। जून से अक्टूबर तक मानसून की प्रगति के आधार पर पठार हर 15-20 दिनों में रंग बदलता है। कई स्थानीय और लुप्तप्राय पौधे भी यहां पाए जाते हैं। वनस्पति विज्ञान का अध्ययन करने वालों के लिए यह जगह बेहद उपयोगी है। पिछले कुछ सालों से कास का यह पठार पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सीजन के दौरान हर दिन 3 हजार से ज्यादा पर्यटक कास पठार जाते हैं।
यूनेस्को ने कास पठार को विश्व प्राकृतिक विरासत स्थल के रूप में मान्यता दी है। चूंकि यह स्थान एक आरक्षित वन और जैव विविधता का भंडार है, इसलिए यहां के प्राकृतिक वन संसाधनों की रक्षा करना सभी की जिम्मेदारी है। पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन अवधारणा के तहत पर्यटन विभाग इस सीजन के लिए 4 ई-बसें शुरू कर रहा है। ये बसें कासने गांव से कास पठार तक आधा किमी चलती हैं। इससे क्षेत्र में वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
Next Story