महाराष्ट्र

5000 साल पुरानी कला को फिर से जिंदा करने में जुटे हैं पवन राठौड़, मिनटों में बना देते हैं बेहतरीन रंगोलियां

HARRY
14 Oct 2022 12:01 PM GMT
5000 साल पुरानी कला को फिर से जिंदा करने में जुटे हैं पवन राठौड़, मिनटों में बना देते हैं बेहतरीन रंगोलियां
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दीवाली का त्योहार आने वाला है। देश भर में लोग इस रोशनी के पर्व को धूमधाम से मानते हैं। दीवाली के मौके पर घरों में रंगोलियां भी बनाई जाती हैं। महाराष्ट्र की रंगोली पूरी दुनिया में फेमस है। हालांकि रंगोली बनाना आसान नहीं होता है। जिसके चलते लोग बाजारों से स्टीकर रंगोलियां ले आते हैं। धीरे धीरे समाप्त हो रही 5000 साल पुरानी इस कला को पुनर्जीवित करने का काम यवतमाल जिले के अरनी शहर में रहने वाले पवन राठौड़ कर रहे हैं। पवन रंगोली कलाकार हैं।

पवन राठौड़ को रंगोली बनाना पसंद है। वह देवी-देवता, फूल, किसी के नाम के अक्षर का रंगीन पैटर्न बनाते हुए किसी भी चीज की रंगोली बना सकते हैं। पवन इस सदियों पुरानी कला को टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाकर दूर भविष्य तक ले जाना चाहते हैं। वे रंगोली बनाने के लिए कृत्रिम रंगो और रसायनों का प्रयोग नहीं करते हैं।

वह रंगोली बनाने के लिए प्राकृतिक रेत (मिट्टी), नासिक रंग का पाउडर, काली मिर्च, मक्का और प्राकृतिक गुलाल पाउडर आदि का उपयोग करते हैं। पवन राठौड़ अपनी इस कला को दुनिया भर में फैलाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का भी सहारा ले रहे हैं। ताकि वह इस कला को पूरी के सामने पेश कर सकें। पवन अपनी कला को लोगों तक पहुंचाने के लिए सोशल प्लेटफॉर्म ऐप 'जोश' का इस्तेमाल कर रहे हैं। पवन के JOSH ऐप पर 23 मिलियन फॉलोवर्स हैं। अधिक फॉलोअर के साथ उनका काम भी बढ़ने लगा। वर्ष 2020 में एक महीने में करीब 20 से 30 ऑर्डर के मुकाबले अब उन्हें 80 से 90 ऑर्डर मिलते हैं।

पवन ने 6 साल की उम्र में रंगोली बनाना शुरू किया है। उस समय समाज में पुरुषों का रंगोली बनाना अच्छा नहीं माना जाता था। लेकिन पवन इस बात की परवाह किए बिना अपनी कला को आकार देते रहे। अब पवन अपनी कला में मास्टर हैं। पवन ने अपनी इस उपलब्धि के लिए जोश ऐप को धन्यवाद देते हुए कहा कि, मेरी और मेरे परिवार की मदद करने के लिए शुक्रिया।


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