महाराष्ट्र

नाग नदी की नाव अटकी : मंजूरी के बाद भी अब तक नहीं मिली केंद्र से निधि

Rani Sahu
2 Sep 2022 8:09 AM GMT
नाग नदी की नाव अटकी : मंजूरी के बाद भी अब तक नहीं मिली केंद्र से निधि
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मंजूरी के बाद भी अब तक नहीं मिली केंद्र से निधि
नागपुर. कठिन से कठिन प्रकल्पों व विकास कार्यों को आसानी से साकार करने के लिए प्रसिद्ध केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का नागपुर की नाग नदी को पुनर्जीवित कर उसमें नाव चलाने का सपना लंबे समय से अटका हुआ है. बीते वर्ष केंद्र सरकार ने इस महत्वाकांक्षी व असंभव लगने वाले 2,412.64 करोड़ रुपयों के प्रोजेक्ट को मंजूरी भी दे दी है, लेकिन अब तक एक रुपया भी नहीं मिला है. इसके चलते सिटी की इस नदी का पुनरुद्धार करने की कोई हलचल नजर नहीं आ रही है.
बताते चलें कि इस प्रोजेक्ट पर लगने वाली निधि में राज्य सरकार और मनपा को भी अपना हिस्सा देना है लेकिन पहले केंद्र से निधि प्राप्त होने का इंतजार किया जा रहा है. जब गडकरी ने अपने इस सबसे कठिन सपने की घोषणा सार्वजनिक की थी तब विपक्षी पार्टियों और यहां तक कि नागरिकों के एक वर्ग को भरोसा नहीं हुआ था. लेकिन जब उन्होंने केंद्र से प्रस्ताव को मंजूरी दिलवाकर निधि की व्यवस्था का मार्ग भी बना लिया तब लोग इंतजार कर रहे हैं कि आखिर यह कार्य कब शुरू होगा.
जायका से मिलेगा कर्ज
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय नदी संवर्धन निदेशालय ने नाग नदी पुनरुद्धार परियोजना के लिए 2,412.64 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दी. इसमें केंद्र सरकार का हिस्सा 1,447.58 करोड़, राज्य सरकार का 603.16 करोड़ और मनपा का हिस्सा 361.89 करोड़ रुपये है. अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था जेआईसीए (जायका) से केंद्र को 1,864.30 करोड़ रुपये कर्ज के रूप में प्राप्त होंगे. इसमें भी राज्य सरकार के हिस्से की निधि 603.16 करोड़ में से 403.26 करोड़ रुपये का समावेश कर्ज के रूप में होगा. 199.07 करोड़ रुपये राज्य सरकार अपने स्तर पर उपलब्ध कराएगी.
8 वर्ष में पूरा करना है प्रोजेक्ट
बीते वर्ष मंजूरित इस प्रोजेक्ट को 8 वर्षों में पूरा करना है. मंजूरी मिले 6-7 महीने हो रहे हैं लेकिन अब तक कोई हलचल नहीं है. जितनी लेटलतीफी निधि मिलने में होगी उतना ही निर्धारित कालावधि में इसे पूरा करना भी कठिन होगा. फिलहाल तो यह नदी एक सीवरेज नाला बना हुआ है. गंदा पानी इसमें छोड़ा जाता है. सबसे पहले इसमें जगह-जगह से छोड़े जा रहे गंदे पानी को रोकना होगा. नदी के किनारे बसीं बस्तियों और अतिक्रमणों का हटाने का काम करना होगा जो सबसे कठिन है. उसके बाद गहरीकरण व सौंदर्यीकरण का नंबर आएगा. फिलहाल तो यह शहरवासियों के लिए सपना ही लगता है.
2012 में हुआ था सर्वे
नाग नदी के पुनरुद्धार का जब यह प्रस्ताव आया तो मनपा ने 2012 में इसके उद्गम स्थल को जानने के लिए सर्वे करवाया था. तब यह माना गया कि अंबाझरी लेक ही इसका उद्गम स्थल है. यह नदी आगे जाकर पोहरा नदी में मिलती है. बताते चलें कि इस झील का निर्माण भोसले राजा ने 1870 में कराया था और यहां से सिटी के पॉश इलाकों में जलापूर्ति होती थी.
गडकरी की महत्वाकांक्षी योजना
अपनी सिटी को देश का सबसे सुंदर शहर बनाने के लिए जी-जान से जुटे हुए गडकरी खुद मानते हैं कि नाग नदी का पुनरुद्धार करना, उसमें बोट चलाना और जगह-जगह पर सौंदर्यीकरण करना उनका सबसे कठिन सपना है. उन्होंने तो अंबाझरी से लेकर पारडी तक इसमें नाव चलाने की योजना बनाई है. फिलहाल तो उनके इस मल्टी मॉडल प्रोजेक्ट पर काम शुरू नहीं हुआ है लेकिन शहरवासियों को भरोसा है कि जैसे ही केंद्र से निधि की व्यवस्था होगी, काम भी शुरू होगा. गडकरी ने कहा है नदी के किनारे बसे नागरिकों के स्थलांतरण में किसी के साथ अन्याय नहीं होगा.
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