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Mumbai मुंबई: उबर और ओला जैसे एग्रीगेटर्स द्वारा संचालित ऐप आधारित वाहनों में यात्रियों की सुरक्षा का मुद्दा बुधवार को एक जनहित याचिका के जरिए हाईकोर्ट में उठाया गया। कोर्ट ने भी याचिका का संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को यात्रियों की सुरक्षा के लिए बनाए गए नियमों के क्रियान्वयन पर अपना रुख स्पष्ट करने का आदेश दिया।
यात्रियों की सुरक्षा को लेकर 2020 में मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइन बनाई गई थी। हालांकि, इन नियमों के क्रियान्वयन में कमी के कारण यात्रियों को अभी भी यात्रा के दौरान कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, ऐसा अमितोज इंदर सिंह ने अपनी याचिका में दावा किया है। उन्होंने 2020 के नियमों को लागू करने का आदेश देने की भी मांग की है। याचिकाकर्ता ने अप्रैल 2018 में यात्रा के दौरान एक ऐप आधारित वाहन चालक द्वारा किए गए हमले के मद्देनजर उक्त याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने नए कानून के लिए नहीं, बल्कि मौजूदा नियमों को सख्ती से लागू करने के लिए याचिका दायर की है। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को नोटिस जारी किए। इसी तरह, इससे पहले मार्च 2022 में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मोटर वाहन अधिनियम की धारा 96 के तहत मसौदा नियमों को अंतिम रूप देने और धारा 93(1) के तहत ऐप आधारित वाहन सेवाओं को लाइसेंस जारी करने का आदेश दिया था। इस आदेश को वापस लेते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को इस संबंध में किए गए उपायों का ब्योरा पेश करने का भी आदेश दिया था।
इस बीच, मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 के अनुसार, एग्रीगेटर परिवहन के उद्देश्य से यात्रियों को ड्राइवरों से जोड़ने के लिए डिजिटल मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं। भारत में अग्रणी परिवहन एग्रीगेटर में ओला और उबर जैसी कंपनियां शामिल हैं। सिंह ने जनहित याचिका में ऐसी ऐप आधारित सेवाओं का लाभ उठाने वाले यात्रियों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया है।
इसमें यह भी दावा किया गया है कि राज्य सरकार ने मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2029 के तहत मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देशों को लागू नहीं किया है।
याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा मोटर वाहन एग्रीगेटर के लिए दिशानिर्देश तैयार किए जाने के बावजूद राज्य में ओला-उबर से यात्रा करने वाले यात्रियों की सुरक्षा अभी भी खतरे में है। याचिका में यह भी कहा गया है कि ऐसा कोई कानून या दिशा-निर्देश नहीं है जो ऐप-आधारित वाहन सेवा एग्रीगेटर को अपने संबंधित ब्रांडों के तहत टैक्सियाँ चलाने वाले ड्राइवरों के खिलाफ व्यक्तिगत अपराधों के लिए उत्तरदायी बनाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि हालांकि इस ऐप-आधारित वाहन सेवा एग्रीगेटर के तहत ड्राइवर की पृष्ठभूमि की जाँच, वाहनों में 360-डिग्री सीसीटीवी कैमरे लगाना, रीयल-टाइम जीपीएस ट्रैकिंग आदि यात्रियों की सुरक्षा के लिए अनिवार्य हैं, लेकिन इन प्रणालियों को लागू नहीं किया गया है।
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Usha dhiwar
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