महाराष्ट्र

पार्वो वायरस से महाराष्‍ट्र के 2 हजार से अध‍िक कुत्‍ते हुए संक्रमित, जानिए इससे इंसानों को कितना खतरा?

Gulabi
18 Dec 2021 3:34 PM GMT
पार्वो वायरस से महाराष्‍ट्र के 2 हजार से अध‍िक कुत्‍ते हुए संक्रमित, जानिए इससे इंसानों को कितना खतरा?
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2 हजार से अध‍िक कुत्‍ते हुए संक्रमित
महाराष्‍ट्र के अमरावती में 2 हजार से अध‍िक कुत्‍तों में पार्वो वायरस की पुष्टि हुई है. एक्‍सपर्ट ने संक्रमण के मामले बढ़ने की वजह कोविड के कारण कुत्‍तों का वैक्‍सीनेशन न हो पाना बताया है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, रोजाना 20 कुत्‍तों में पार्वो वायरस का संक्रमण फैल रहा है. इनके संरक्षण के लिए काम करने वाले एनजीओ WASA के मुताबिक, पिछले महीने ही इस वायरस के संक्रमण के कारण 17 कुत्‍तों की मौत हो चुकी है.
पार्वो वायरस क्‍या है, यह संक्रमण कैसे फैलाता है और इस वायरस से इंसानों को कितना खतरा है, जानिए इन सवालों के जवाब…
क्‍या है पार्वो वायरस?
यह एक खतरनाक वायरस है, जिसका संक्रमण कुत्‍तों और उसके बच्‍चों में फैलता है. भारत में पहली बार यह वायरस 1980 में पाया गया था. संक्रमण के बाद लक्षण दिखने पर पशु विशेषज्ञ जांच के जरिए संक्रमण की पुष्टि करते हैं. संक्रमण के बाद 90 फीसदी मामलों में मौत का खतरा रहता है. लेब्राडोर, जर्मन शेफर्ड और रॉटविलर्स नस्‍ल में इस वायरस का संक्रमण होने का खतरा ज्‍यादा है.
कैसे फैलाता है यह संक्रमण?
संक्रमित कुत्‍ते के सम्‍पर्क में आने या उसकी संक्रमित चीजें दूसरे कुत्‍ते तक पहुंचने पर यह वायरस उसे बीमार बनाता है. संक्रमित कुत्‍ते का मल सूंघने, उसे चाटने, उसका जूठा पानी पीने या खाना खाने पर भी स्‍वस्‍थ कुत्‍ते में संक्रमण फैल सकता है. इसलिए ऐसी स्थिति में अपने पालतू कुत्‍ते को टहलाते समय इन बातों का विशेष ध्‍यान रखें.
कैसे पहचानें पार्वो वायरस के संक्रमण को?
एक्‍सपर्ट के मुताबिक, एक बार आहार नाल तक इसका संक्रमण होने पर बीमार कुत्‍ते में कई तरह के लक्षण दिखते हैं. कुत्‍तों या इनके बच्‍चों में पार्वो वायरस के संक्रमण के बाद डायरिया, उल्‍टी होना, उसका वजन घटना, शरीर में पानी की कमी होना और सुस्‍त रहना जैसे लक्षण दिखते हैं. ऐसे लक्षण दिखने पर पशु चिकित्‍सक से सम्‍पर्क करें.
कुत्‍ते से इंसान में संक्रमण फैलने का खतरा कितना है?
अब तक ऐसा कोई भी मामला सामने नहीं आया है जिसमें यह साबित हुआ हो कि यह वायरस कुत्‍ते से इंसान में पहुंचा. हालांकि इंसानों के जरिए यह कुत्‍तों में जरूर पहुंच सकता है. जैसे- किसी संक्रमित कुत्‍ते से इंसान के हाथ, कपड़ों या दूसरे हिस्‍सों में यह वायरस पहुंचा है और वो इंसान किसी स्‍वस्‍थ कुत्‍ते के सम्‍पर्क में आया है तो वह जानवर संक्रमित हो सकता है. इसलिए अलर्ट रहें.
अपने पालतू को संक्रमण से कैसे बचाएं?
अब तक इसका कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है, लेकिन जिन कुत्‍तों का वैक्‍सीनेशन हो चुका होता है, उनमें इस तरह का संक्रमण फैलने का खतरा कम होता है. वैक्‍सीन की पहली डोज जन्‍म से 45 दिन बाद दी जाती है. पहली डोज के 21 दिन बाद दूसरी डोज दी जाती है. पशु च‍िकित्‍सकों का कहना है, ऐसी स्थिति में उन कुत्‍तों को बाहर ले जाने से बचें, जिन्‍हें दोनों डोज नहीं लगे हैं. संक्रमण के मामले आ चुके हैं, इसलिए इन्‍हें टहलाने से बचें.
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