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चुनाव आयोग से पार्टी सिंबल की दुर्भावनापूर्ण मांग : शरद खेमा
मुंबई: अजित पवार की बगावत के बाद दो खेमों में बंटी एनसीपी के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। चाचा शरद पवार से अलग होकर अजित शिंदे और बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम पद पर काबिज हो चुके हैं। अजित कह चुके हैं कि एनसीपी उनकी है और वह चाचा को भी मना लेंगे। साथ ही अजित ने चुनाव आयोग में पार्टी सिंबल और चिन्ह का दावा भी ठोंका है। इस बीच शरद पवार खेमे ने चुनाव आयोग से कहा है कि अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सिंबल और चुनाव चिन्ह की मांग अपरिपक्व और दुर्भावनापूर्ण है और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया है कि उनकी ‘याचिका’ 1 जुलाई तक का घटनाक्रम बताया गया है, जबकि तब तक तो एनसीपी के दो गुटों के सबूत ही नहीं थे।
अजित पवार और उनके वफादार विधायकों ने पिछले महीने महाराष्ट्र में भाजपा-एकनाथ शिंदे गठबंधन से हाथ मिलाया और मंत्री पद की शपथ ली। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले सेना गुट की तरह वे दावा करते हैं कि वे असली एनसीपी हैं, क्योंकि उन्हें पार्टी के अधिकांश विधायकों का समर्थन प्राप्त है। उनके नेतृत्व वाले गुट ने पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा करते हुए चुनाव आयोग से संपर्क किया है। उन्होंने चुनाव आयोग को बताया है कि अजित पवार को 30 जून, 2023 के एक प्रस्ताव के माध्यम से एनसीपी का प्रमुख चुना गया था, जिस पर पार्टी सदस्यों के भारी बहुमत द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग के पास सौंपी याचिका में कहा है, अजित पवार प्रथम दृष्टया यह प्रदर्शित करने में भी सक्षम नहीं हैं कि एनसीपी में कोई विवाद मौजूद है।