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INS निशंक और INS अक्षय हुए डिकमीशन, तीन दशकों तक देश की समुद्री सीमा सुरक्षित रखी

jantaserishta.com
3 Jun 2022 1:57 PM GMT
INS निशंक और INS अक्षय हुए डिकमीशन, तीन दशकों तक देश की समुद्री सीमा सुरक्षित रखी
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भारतीय समुद्री इलाके के 2 बेहतरीन और ताकतवर पहरेदार 32 वर्षों तक देश की सेवा करने के बाद आज यानी 3 जून 2022 को सेवामुक्त हो गए. साल 1989 और 1990 भारत के इतिहास के वो सुनहरे साल थे, जब भारतीय नौसेना में इन दोनों उम्दा और घातक युद्धपोतों को शामिल किया गया था. INS निशंक वीर श्रेणी मिसाइल कॉर्वेट का चौथा जहाज़ था, जिसने 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपनी वीरता दिखाई थी.

INS अक्षय जो की 1990 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. यह युद्धपोत 23वें गस्ती पोत जत्थे का हिस्सा था. इसका मुख्य काम पनडुब्बीरोधी मिशन पूरा करना और तटीय निगरानी करना था. इन दोनों जहाजों यानी INS Nishank (K43) और INS Akshay (P35) ने करगिल युद्ध के समय ऑपरेशन तलवार, 1971 के युद्ध, संसद पर हमले के समय ऑपरेशन पराक्रम और सर्जिकल स्ट्राइक के समय भी सहारनीय भूमिका निभाई थी. दोनों ही जंगी जहाज दुश्मन का मुंह तोड़ने के लिए हमेशा तैयार रहे.
आईएनएस निशंक (INS Nishank) को 12 सितंबर 1989 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. यह वीर क्लास कॉर्वेट शिप है. इसकी लंबाई 184 फीट है. 34 फीट का बीम है. इसके अलावा इसका ड्रॉट 8.2 फीट है. यह 59 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से समुद्र में चलता था. इसमें 4 पी-15 टर्मिट मिसाइल लगी थीं. इसके अलावा 16 केएच-35 उरान मिसाइलें लगी थी. एक एसए-एन-5 ग्रेल लॉन्चर था. 60 कैलिबर की तोप लगी थी. इसके अलावा 30 एमएम की दो एके-630 मशीन गन लगी थी.
और आईएनएस अक्षय (INS Akshay) को 10 दिसंबर 1990 में नौसेना में शामिल किया गया था. यह अभय क्लास कॉर्वेट युद्धपोत है. यह 183.7 फीट लंबा है. इसका बीम 33 फीट ऊंचा है. ड्राफ्ट 11 फीट का है. यह युद्धपोत 52 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से समुद्र में चलता था. इसमें 1 क्वाड सरफेस टू एयर मिसाइल स्ट्रेला-2एम, 1 एके-76 मशीन गन, 4 टॉरपीडो ट्यूब्स लगी थी. इसके अलावा एंटी-सबमरीन ट्यूब्स अलग से.
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