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महाराष्ट्र | महाराष्ट्र की राजनीति में एक और बड़ा उलटफेर हो गया है। लंबे समय से चली आ रही बगावत की आशंका आज हकीकत में बदल गई जब एनसीपी नेता और राज्य में नेता प्रतिपक्ष रहे अजित पवार ने बगावत का बिगुल फूंक किया। सब कुछ इतना अचानक हुआ कि बड़े-बड़े राजनीतिक पंडित भी दांतों तले उंगलिया दबाए देखते रह गए। एक छोटी सी बैठक और इसके बाद सीधा राजभवन में शपथ ग्रहण का कार्यक्रम। अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। इसके अलावा उनके 8 अन्य समर्थक विधायकों ने भी मंत्रिपद की शपथ ली।
अजित पवार के गुट का दावा है कि उनके पास 40 एनसीपी विधायकों का समर्थन है. बता दें कि अजित पवार समेत एनसीपी के 9 विधायक मंत्रीपद की शपथ ले चुके हैं.
एनसीपी नेता हसन मुशरिफ ने मंत्री के तौर पर शपथ ली। वह इस समय कोल्हापुर से विधायक हैं। उनके अलावा दिलीपराव दत्तात्रेय वलसे-पाटील, धनंजय मुंडे ने भी मंत्रिपद की शपथ ली। धर्मराव बाबा आत्रम, अदिति तटकरे, अनिल भाईदास और संजय बानसोडे ने भी मंत्रिपद की शपथ ली है।
महाराष्ट्र में शिवसेना में टूट और महाविकास अघाड़ी की सरकार गिरने के बाद यह दूसरा बड़ा झटका है। एनसीपी की इस फूट से उद्धव ठाकरे गुट को भी बड़ा झटका लगा है। बताया जा रहा है कि एनसीपी के कई नेताओं को शरद पवार का पटना में विपक्षी दलों की बैठक में जाना और राहुल गांधी के साथ मंच साझा करना पसंद नहीं आया था। इसके चलते उन्होंने अजित पवार का साथ देने का विचार बना लिया। हालांकि इसकी भूमिका लंबे समय से तैयार हो रही थी।
अजित पवार के शपथ लेने के बाद शिवसेना (यूबीटी) से राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा, महाराष्ट्र की जनता इस गेम को लंबे समय तक बर्दाश्त नहीं करेगी। अजित पवार की इस बगावत के बाद महाविकास अघाड़ी महासंकट में दिख रही है। गौर करने वाली बात है कि अजित पवार एक ही कार्यकाल में तीसरी बार उपमुख्यमंत्री बने थे। पहली बार उन्होंने देवेंद्र फडणवीस के साथ शपथ ली थी। दूसरी बार वह महाविकास अघाड़ी सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे और अब तीसरी बार नेता प्रतिपक्ष से सीधा उपमुख्यमंत्री बन गए हैं।
अजित पवार के आवास पर हुई बैठक पर शरद पवार ने कहा, 'मुझे ठीक से पता नहीं है लेकिन विपक्ष के नेता होने के नाते उन्हें विधायकों की बैठक बुलाने का अधिकार है…वह नियमित रूप से ऐसा करते हैं…मुझे इस बैठक के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन मुझे जितना पता है वो ये है कि शाम तक नेता उनसे मिलने आते रहेंगे.मेरा अहमदनगर कार्यक्रम पिछले सप्ताह ही रद्द हो गया था और सुप्रिया पहले से ही मुंबई से पुणे जा रही है.
इस सप्ताह की शुरुआत में, राकांपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने उनके इस्तीफे के मामले पर चर्चा की और पार्टी नेताओं ने कहा कि अंतिम निर्णय दो महीने में लिए जाने की संभावना है. इससे पहले 25 जून को उनके चाचा और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा था कि पार्टी अजित पवार की मांग पर फैसला लेगी. पवार उनके बीजेपी में शामिल होने की खबरों से इनकार कर चुके हैं.
शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने पिछले दिनों दावा किया था कि एनसीपी नेता अजित पवार बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. इसी के बाद से उनके बीजेपी में जाने की अटकलें तेज हो गई थीं. दरअसल, अजित की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की खबरें सामने आई थीं, जिसके बाद राउत ये यह दावा किया था.
इससे पहले अप्रैल 2023 में अजित पवार ने साफ शब्दों में मुख्यमंत्री बनने की चाहत दिखाई थी. उन्होंने कहा था कि वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और 2024 में क्यों, अभी भी सीएम पद के दावेदार हैं. उसके साथ-साथ उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाए थे कि 2004 में जब एनसीपी की कांग्रेस से ज्यादा सीटें आई थीं, तब पार्टी ने उन्हें सीएम पद देने का मौका गंवा दिया था. हालांकि, सीएम पद को लेकर उनका अभी भी दावा कायम है.
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