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हैलो नहीं 'वंदे मातरम्' बोलिए, सरकारी अधिकारियों के लिए शिंदे सरकार का आदेश जारी
महाराष्ट्र में अब सरकारी अधिकारियों को आम लोगों या किसी अन्य अधिकारी से टेलीफोन या मोबाइल पर बात करने के दौरान सबसे पहले हेलो नहीं बल्कि 'वंदे मातरम्' बोलना होगा। इस संबंध में राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार की ओर से आदेश शनिवार को जारी कर दिए गए। ये आदेश सरकारी अधिकारियों सहित उन संस्थानों और उसके कर्मचारियों के लिए भी हैं जो सरकार की ओर से जारी जारीं फंड पर चलते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी GR (सरकारी आदेश) में कहा गया है कि अधिकारी उनसे मिलने आने वाले आम लोगों में भी वंदे मातरम् को अभिवादन के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए जागरूकता पैदा करें। GR में कहा गया है कि 'हेलो' शब्द पश्चिमी संस्कृति की नकल है और सिर्फ 'बिना किसी खास अर्थ के अभिवादन का तरीका है और इससे कोई स्नेह पैदा नहीं होता है।' हाल ही में शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद महाराष्ट्र के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने इस प्रस्ताव को रखा था। बाद में उन्होंने इससे पीछे हटते हुए कहा था कि राष्ट्रवाद को दर्शाने वाले किसी भी समकक्ष शब्द का इस्तेमाल किया जा सकता है।
सुधीर मुनगंटीवार ने कहा था, 'हम आजादी के 76वें साल में प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए, मैं चाहता हूं कि अधिकारी हेलो के बजाय फोन पर वंदे मातरम' कहें। उन्होंने कहा था कि 'मैं चाहता हूं कि राज्य के सभी सरकारी अधिकारी अगले साल 26 जनवरी तक फोन पर वंदे मातरम कहें।' हालांकि इस प्रस्ताव पर कई विरोध भी हुए थे। मुस्लिम संगठनों ने भी आपत्ति जताई थी।
सपा नेता ने उठाए सवाल
वंदे मातरम् बोलने के आदेश पर सपा नेता अबू आसिम आजमी ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने जानबूझकर ऐसा आदेश निकाला है, ताकि हिंदू-मुस्लिम के बीच में दरार आए। उन्होंने कहा कि हम अपने देश से प्रेम करते हैं लेकिन केवल अल्लाह के सामने सिर झुकाते हैं। हम कभी भी वंदे मातरम नहीं बोलेंगे। अबू आजमी ने साथ ही कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से सवाल पूछा कि 'आप हमेशा बाला साहेब की तरह 'जै महाराष्ट्र' बोला करते थे तो फिर भाजपा और RSS के दवाब में आकर इसे छोड़ने के लिए क्यों कह रहे हैं। 'जै महाराष्ट्र' बोलना देशद्रोह है क्या