महाराष्ट्र

एटीएम मशीन से नकद चोरी करने वाला गैंग गिरफ्तार

Rani Sahu
19 Sep 2022 9:01 AM GMT
एटीएम मशीन से नकद चोरी करने वाला गैंग गिरफ्तार
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शहर के अलग-अलग इलाकों में एटीएम मशीनें से नकद चोरी करने वाली यूपी की गैंग को पकड़ने में आखिर तहसील पुलिस को सफलता मिली. पुलिस ने योजना के तहत सेंट्रल एवेन्यू रोड पर एक एटीएम के पास जाल बिछा रखा था
नागपुर. शहर के अलग-अलग इलाकों में एटीएम मशीनें से नकद चोरी करने वाली यूपी की गैंग को पकड़ने में आखिर तहसील पुलिस को सफलता मिली. पुलिस ने योजना के तहत सेंट्रल एवेन्यू रोड पर एक एटीएम के पास जाल बिछा रखा था. जैसे ही आरोपी एटीएम में दाखिल हुए पुलिस ने उन्हें दबोच लिया. पकड़े गए आरोपियो में जलेश्वरगंज, प्रतापगड़ निवासी राहुल राकेश सरोज (24), मुनावपुर, प्रयागराज निवासी संजय शंकरलाल पाल (23) और अशोक श्रीनाथ पाल (26) का समावेश हैं.
तीनों करीब 5 महीने से नागपुर में है. अलग-अलग इलाकों में जाकर एटीएम की रेकी करते थे. जहां गार्ड नहीं होते थे ऐसे एटीएम उनके निशाने पर रहते थे. एटीएम में चोरी करने की इनका अलग तरीका है. पहले तो आरोपी एटीएम में जाकर पेचकस के जरिए मशीन का पैनल कवर खोलकर नॉब निकाल लेते थे. ग्राहक एटीएम में जाकर मशीन में राशि डालते थे. नोटों की गिनती तो होती थी लेकिन राशि बाहर नहीं आती थी. बाद में आरोपी पैनल खोलकर राशि बाहर निकाल लेते थे.
3 दर्जन वारादातों को दिया अंजाम
आरोपियों ने तहसील थाना क्षेत्र में 2 वारदातों को अंजाम दिया. इस तरह की वारदातें शहर में अन्य जगहों पर भी हुई थी. इसीलिए पुलिस ने आरोपियों के चोरी के तरीकों और समय पर ध्यान केंद्रित किया. जिससे पता चला कि अधिकांश घटनाएं शनिवार और रविवार को हुई थी. इसीलिए पुलिस ने कुछ एटीएम के आसपास अपने पंटरों को काम पर लगाया. रविवार की सुबह आरोपी सेंट्रल एवेन्यू रोड के एटीएम में घुसे. पुलिस ने जानकारी मिलते ही एटीएम पर धावा बोल दिया और तीनों को रंगेहाथ गिरफ्तार किया गया. जानकारी मिली है कि आरोपी अब तक 3 दर्जन वारदातों को अंजाम दे चुके हैं. डीसीपी गजानन राजमाने के मार्गदर्शन में तहसील पुलिस प्रकरण की जांच कर रही है.
कई थानों में दर्ज नहीं हुए मामले
आरोपियों से जांच में 3 दर्जन से ज्यादा वारदातों को अंजाम दिए जाने का पता चला. यह आकड़ा और बड़ सकता है लेकिन ताजूब की बात ये है कि कई पुलिस थानों में आरोपियों के खिलाफ मामला ही दर्ज नहीं हुआ. यदि मामला दर्ज होता तो आला अधिकारियों द्वारा जवाब-तलब किया जाता. इस डर से कई थानेदारों ने अपने यहां मामला ही दर्ज नहीं किया. प्रकरण को जांच में रख दिया गया. अब निश्चित ही आरोपियों के पकड़े जाने के बाद एफआईआर होगी.
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