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महाराष्ट्र
Gadchiroli पुलिस ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए उम्मीद की नई किरण जगाई
Gulabi Jagat
10 Jan 2025 10:28 AM GMT
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Gadchiroli: गढ़चिरौली पुलिस ने बम और बंदूक का रास्ता छोड़ मुख्यधारा में शामिल होने वाले नक्सलियों के जीवन में आशा की एक नई किरण लाई है । गढ़चिरौली पुलिस ने जिले में नव स्थापित लॉयड्स मेटल्स उद्योग में विभिन्न पदों पर कुल 48 आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को नौकरी प्रदान की है। गढ़चिरौली के एसपी नीलोत्पल ने कहा कि अब तक गढ़चिरौली पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या 600 से अधिक है। 2014 में आत्मसमर्पण नीति में बदलाव के बाद, सरकार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विभिन्न प्रयास कर रही है। इस आत्मसमर्पण योजना के तहत, सरकार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए कुछ राशि और जमीन प्रदान करती है । गढ़चिरौली पुलिस इससे दो कदम आगे निकल गई है और उसने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के रोजगार के लिए भी प्रयास किए हैं । एसपी नीलोत्पल ने बताया कि हाल ही में गढ़चिरौली में स्थापित लॉयड्स मेटल्स इंडस्ट्री में जब उन्होंने सरेंडर करने वाले नक्सलियों को नौकरी देने की बात कही तो लॉयड्स ने इसे स्वीकार कर लिया। लॉयड्स ने अपने कोंसारी प्रोजेक्ट में नौकरी के लिए 48 सरेंडर नक्सलियों का चयन किया।
नीलोत्पल ने बताया, "सबसे पहले लॉयड्स ने सरेंडर करने वाले नक्सलियों की शिक्षा और कौशल के अनुसार प्रोफाइलिंग की, बाद में उन्हें 3 महीने की ट्रेनिंग दी गई। आज ये सभी 48 लोग लॉयड्स की विभिन्न इकाइयों में काम कर रहे हैं और उन्हें 15 से 20 हजार रुपए मासिक वेतन मिल रहा है।" चटगांव एरिया के डिप्टी कमांडर रहे और 2019 में गढ़चिरौली पुलिस के सामने सरेंडर करने वाले मनीराम अटला ने कहा, "सरेंडर करने के बाद मुझे नई जिंदगी जीने का हक मिला है। लॉयड्स मेटल्स में नौकरी पाकर मैं बहुत खुश हूं। मैं अब अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी रहा हूं, अब मुझ पर कोई दबाव नहीं है।" 2014 में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने वाले कंपनी प्लाटून कमांडर रमेश काटवो ने कहा, "नक्सल आंदोलन में 10-12 साल रहने के बाद मुझे एहसास हुआ कि यह रास्ता गलत है, इससे न तो हमें और न ही हमारे परिवार को कोई फायदा होगा। इसीलिए मैंने 2014 में आत्मसमर्पण कर दिया, मैं सरकार द्वारा दी गई नई नौकरी से खुश हूं और अपने परिवार की देखभाल कर रहा हूं।"
2006 में गढ़चिरौली पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने वाले साईनाथ पुंगाती माओवादी संगठन में युवाओं की भर्ती करते थे, जब उन्हें नक्सलियों की सच्चाई पता चली तो उन्होंने यह रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया, पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने के बाद उन्हें लगा कि पहले उनकी जिंदगी डर के साये में थी, अब वह खुलकर सांस ले पा रहे हैं, साईनाथ ने कहा, "नई नौकरी के साथ जिंदगी आगे बढ़ रही है, अब मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है कि मैं अब अच्छी जिंदगी जी सकता हूं।" एसपी नीलोत्पल ने कहा कि गढ़चिरौली पुलिस का मुख्य काम जिले से माओवाद को खत्म करना है, " गढ़चिरौली पुलिस जिला प्रशासन के साथ मिलकर सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रही है।" नीलोत्पल ने नक्सलियों से अपील करते हुए कहा कि जो लोग हथियारों के साथ जंगलों में घूम रहे हैं, वे उस रास्ते को छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हों गढ़चिरौली के कोंसारी में सीएम ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को लॉयड्स मेटल्स में जॉब लेटर के साथ ही शेयर सर्टिफिकेट भी दिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र सरकार के इस प्रयास की सराहना की। एक्स पर अपनी पोस्ट में पीएम मोदी ने लिखा, "मैं सुदूर और माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार के प्रयासों की सराहना करता हूं। इससे निश्चित रूप से 'ईज ऑफ लिविंग' को बढ़ावा मिलेगा और और भी अधिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा। गढ़चिरौली और आसपास के क्षेत्रों के मेरे बहनों और भाइयों को विशेष बधाई।" (एएनआई)
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Gulabi Jagat
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