महाराष्ट्र

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख, सुनवाई टालने की मांग

HARRY
20 Jun 2022 4:51 PM GMT
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख, सुनवाई टालने की मांग
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मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख और उनके निजी सहायक कुंदन शिंदे ने सोमवार को मुंबई में विशेष अदालत से डिफॉल्ट जमानत पर सुनवाई स्थगित करने की मांग की. इस पर विशेष सीबीआई न्यायाधीश एसएच ग्वालानी ने कहा, "हर बार आवेदन पहले तात्कालिकता का हवाला देते हुए दायर किए जाते हैं फिर बाद में सुनवाई को स्थगित करने की मांग की जाती है. अब मैं कहूंगा, "अर्जी आपकी लेकिन मर्जी हमारी.

वहीं मामले में एक अन्य आरोपी देशमुख के निजी सचिव संजीव पलांडे की ओर से पेश अधिवक्ता शेखर जगताप और सारुचिता चौधरी ने कोर्ट से कहा कि वे तुरंत जमानत याचिका पर बहस करने को तैयार हैं. बहरहाल अदालत ने डिफॉल्ट जमानत अर्जी पर सुनवाई मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी.
देशमुख, पलांडे और शिंदे सोमवार को अदालत में मौजूद थे, जबकि अदालत ने निर्देश था कि जब तक अदालत जेल प्राधिकरण को निर्देश न दे, तब तक आरोपियों को जेल प्राधिकरण द्वारा पेश करने की कोई जरूरत नहीं है."
'आरोपी सचिव वझे को मिलनी चाहिए जमानत'
सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से विशेष लोक अभियोजक विमल सोनी, सुमेध वानखड़े और ए बिलगियां पेश हुए. उन्होंने कहा कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह एजेंसी की ओर से पेश होंगे. जज ग्वालानी ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह कब पेश होंगे.
वहीं जज ने जगताप और चौधरी से कहा, "मुझे लगता है कि तीनों आवेदन एक जैसे हैं जबकि आरोपी नंबर 4 अलग है. आरोपी नंबर 4 के अनुसार, वह आरोपी नहीं है और चूंकि उसके खिलाफ चार्जशीट नहीं है इसलिए उसे जमानत मिलनी चाहिए. एक लाइन की जमानत याचिका दायर की गई है." इस मामले में आरोपी नंबर 4 मुंबई के पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वझे हैं, जिन्हें अदालत ने सरकारी गवाह बनने के लिए क्षमादान दिया था.
देशमुख ने कहा- अधूरी है चार्जशीट
देशमुख, पलांडे और शिंदे ने यह कहते हुए डिफॉल्ट जमानत याचिका दायर की थी कि सीबीआई द्वारा चार्जशीट के केवल 59 पृष्ठ दायर किए गए हैं जबकि सामने आई चैटशीट से जुड़ा कोई दस्तावेज इसमें नहीं है, इसलिए उन्हें दी जानी चाहिए. वहीं सीबीआई ने यह कहते हुए आवेदन का विरोध किया कि उन्होंने जो आरोप पत्र दायर किया है वह पूरा है.
इसके बाद कोर्ट ने चार्जशीट का संज्ञान लिया. साथ ही सीबीआई को सभी आरोपियों को संबंधित दस्तावेजों के साथ चार्जशीट की कॉपी भी देने का निर्देश दिया, जिसके बाद देशमुख, पलांडे और शिंदे को चार्जशीट की एक कॉपी सौंपी गई.
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