महाराष्ट्र

पिता हैं मजदूर, बेटा पढ़े इसलिए मां ने बेच दिए गहने, वैभव अब करेगा विदेश में पढ़ाई

SANTOSI TANDI
10 Sep 2023 12:09 PM GMT
पिता हैं मजदूर, बेटा पढ़े इसलिए मां ने बेच दिए गहने, वैभव अब करेगा विदेश में पढ़ाई
x
वैभव अब करेगा विदेश में पढ़ाई
महाराष्ट्र :गरीबी एक ऐसी चीज है, जो बड़ी से बड़ी प्रतिमा को खत्म कर देती है, लेकिन अगर कुछ करने का जूनून है, तो गरीबी कभी बाधा नहीं बन सकती है. ऐसी ही कहानी है महाराष्ट्र के वाशिम जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाले वैभव सोनोने. जिन्होंने यूनाइटेड किंगडम सरकार द्वारा वित्त पोषित शेवेनिंग छात्रवृत्ति और राष्ट्रमंडल साझा छात्रवृत्ति जीती है और अब पढ़ाई करने के लिए विदेश जाएंगे. वैभव के माता-पिता दिहाड़ी मजदूर हैं.
वैभव ने 12वीं तक की पढ़ाई सरकारी आवासीय विद्यालय से पूरी की. अनुसूचित जाति से सोनोने अपने परिवार में कॉलेज जाने वाले पहले व्यक्ति है. परिवार के अन्य सदस्य निर्माण श्रमिक हैं, जो महाराष्ट्र के वाशिम जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विदेश में अध्ययन के लिए आवेदन प्रक्रिया के लिए उन्हें एकलव्य फाउंडेशन के ग्लोबल स्कॉलर प्रोग्राम द्वारा मार्गदर्शन दिया गया था.
लीड्स विश्वविद्यालय में करेंगे पढ़ाई
2023 में सोनोन ने यूनाइटेड किंगडम सरकार द्वारा वित्त पोषित शेवेनिंग छात्रवृत्ति और राष्ट्रमंडल साझा छात्रवृत्ति जीती.उन्होंने लीड्स विश्वविद्यालय में पर्यावरण और विकास में एमएससी करने के लिए राष्ट्रमंडल छात्रवृत्ति को चुना है. उन्होंने कहा कि शिक्षा ही एकमात्र ऐसी चीज है, जो स्थितियों को बदल सकती है क्योंकि यही हमारे पास एकमात्र पूंजी है.
नदी पार कर जाते थे स्कूल
कक्षा 4 तक सोनोने ने गांव के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई की. उसके बाद उच्च प्राथमिक स्तर के लिए उन्हें दूसरे सरकारी स्कूल में स्थानांतरित कर दिया गया. यह उसके घर से 6 किमी दूर था और अधिक परेशानी की बात यह थी कि वह एक नदी के उस पार था. उन्होंने बताया कि दो साल तक मुझे नदी पार करनी पड़ी, जो मेरे क्षेत्र में भारी वर्षा के कारण बाढ़ में जाती थी. उन्हें फिर से सहारा महारथी संस्थान द्वारा संचालित एक आवासीय सरकारी स्कूल, श्री सखाराम महाराज विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया.
कक्षा 10वीं में थे स्कूल टाॅप
विद्यालय की ओर से उन्हें पुस्तकालय की चाबियां भी दी गईं और उन्हें जो भी किताब चाहिए उसे पढ़ने की आजादी दी गई. अगले चार वर्षों में उन्होंने व्यापक रूप से और मन लगाकर पढ़ाई की. कक्षा 10वीं में 66 फीसदी नंबरों के साथ वैभव ने स्कूल टाॅप किया था.
बेटे की पढ़ाई के लिए मां ने बेचे गहने
12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह वह 2000 रुपये उधार लेकर पुणे आ गए. उन्होंने दाखिले के लिए कई काॅलेजों में आवेदन किए और अंत में फर्ग्यूसन कॉलेज में बीए राजनीति विज्ञान में प्रवेश मिला. कुछ दिनों तक दूर की मौसी के घर रहने के बाद, वह कॉलेज के छात्रावास में चला गया। इसकी कीमत चुकाने के लिए उनकी मां को आभूषण बेचने पड़े.
कई प्रोफेसरों ने भी वैभव की मदद की. मेस और कॉलेज की फीस का भुगतान करने के लिए वैभव ने कई प्रोफेसरों से भी पैसे उधार लिए. उन्होंने 75 फीसदी और डिस्टिंक्शन के साथ ग्रेजुएशन पास की और अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के एमए इन डेवलपमेंट प्रोग्राम में एडमिशन लिया.
Next Story