महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के किसान बड़े पैमाने पर कर रहे है तरबूज की खेती, जताई अच्छे मुनाफे की उम्मीद

Bhumika Sahu
14 Feb 2022 2:27 AM GMT
महाराष्ट्र के किसान बड़े पैमाने पर कर रहे है तरबूज की खेती, जताई अच्छे मुनाफे की उम्मीद
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Watermelon farming:अकोला जिले के किसानों का कहना है कि मुख्य फसल से हुए नुकसान कि भरपाई अब मौसमी फसलों की खेती कर करेंगे. इसलिए किसान बड़े पैमाने पर तरबूज की खेती कर रहे है. उन्हें उम्मीद है इस साल इससे अच्छी कमाई होगी.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रकृति की बेरुखी से न सिर्फ खरीफ की फसल को नुकसान पहुंचाया है. बल्कि बदलते वातावरण और बेमौसम बारिश(unseasonal rain) ने रबी कि फसल को भी बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है. इस बार मुख्य फसल से किसानों को निराशा हाथ लगी, ऐसी परिस्थितियों में भी किसानों द्वारा अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए एक से अधिक प्रयास किए गए हैं. इन्हीं में से एक तरबूज की खेती अकोला जिले में जहां एक तरफ रबी की बुवाई हो रही थी, वहीं दूसरा किसान (Farmer)तरबूज कि खेती कर रहे थे अब रबी सीजन की फसल जोरों पर है जबकि तरबूज की कटाई हो चुकी है इसके अलावा, इस साल गर्मियों की शुरुआत से पहले ही तरबूज(watermelon) की मांग बढ़ रही है जिसके चलते किसान पारंपरिक खेती से ज्यादा बागवानी पर ज़ोर दे रहे है.क्योंकि इस साल खरीफ और रबी सीजन की मुख्य फसलों से किसानों को नुकसान हुआ था. अब दो महीने में बाज़ारों में तरबूज जाने को तैयार है और किसानों ने उम्मीद जताई है कि इससे आय में वृद्धि होगी.

सबसे ज्यादा किस जिले में होती है इसकी खेती
तरबूज एक मौसमी फसल है पहले तरबूज की खेती केवल नदी घाटियों में की जाती थी लेकिन समय बीतने के साथ, किसानों ने सिंचित और सूखा भूमि का चयन करके तरबूज के फसलों की खेती शुरू कर दी है अधिकांश खेती अकोला जिले के अकोट, तेलहारा तालुका के कुछ हिस्सों में उगाई जाती है वर्तमान में अकोला जिले में सबसे ज्यादा300 हेक्टेयर में तरबूज की खेती की जाती है अब फरवरी के अंतिम सप्ताह से आवक शुरू होने की उम्मीद है.
अब रोपण से पहले बाजार की भविष्यवाणी करते है किसान
किसान अब व्यवसायी हो गए हैं खेती सिर्फ खेती के लिए ही नहीं बल्कि उस फसल से चार पैसे कमाने के दाम पर भी ध्यान दिया जा रहा है तरबूज कि सबसे ज्यादा डिमांड गर्मियों के मौसम में होती है साथ ही यह फसल दो से ढाई महीने तक चलती है जिसके अनुसार किसानों ने दिसंबर में रोपण और मार्च के पहले सप्ताह में कटाई जैसे सभी कारकों पर विचार करने के बाद तरबूज की खेती शुरू कर दी है.अब उम्मीद है कि इससे उत्पादन बढ़ेगा.
किसान को दरों में वृद्धि कि है उम्मीद
तरबूज एक मौसमी फसल है इसलिए हर साल इसकी काफी डिमांड रहती है इस साल भीषण ठंड के बावजूद नवंबर-दिसंबर में मांग बनी हुई थी,अब गर्मी शुरू हो रही है जिसमें और भी डिमांड होगी. फिलहाल इस समय तरबूज की कीमत 30 रुपये प्रति किलो के भाव से बिक रहा है.इसके अलावा अब इस साल कोरोना का कम खतरा है इसलिए, किसान कीमतों में और वृद्धि की भविष्यवाणी कर रहे हैं तरबूज की मांग हर साल जस की तस बनी हुई है किसान इस साल भी ऐसी ही मांग की उम्मीद कर रहे हैं.


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