महाराष्ट्र

एक साल में तैयार होने की उम्मीद, गैरकानूनी रूप से रह रहे विदेशियों को यहां रखा जाएगा

SANTOSI TANDI
17 Aug 2023 2:21 PM GMT
एक साल में तैयार होने की उम्मीद, गैरकानूनी रूप से रह रहे विदेशियों को यहां रखा जाएगा
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विदेशियों को यहां रखा जाएगा
महाराष्ट्र के गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य विधानसभा में ऐलान किया था कि महाराष्ट्र के बालेगांव में डिटेंशन सेंटर बनाया जाएगा। यहां उन विदेशियों को रखा जाएगा जो भारत में गैरकानूनी रूप से रह रहे हैं। फडणवीस ने बताया था कि राज्य में ड्रग तस्करी की घटनाएं बढ़ रही हैं। कई विदेशी नागरिक राज्य में ड्रग सप्लाई कर रहे हैं।
वे अपना वीजा खत्म होने के बाद भी यहां रुके रहते हैं और अपराध करते हैं। ऐसे विदेशियों को इस डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा और वहीं से उन्हें उनके देश वापस भेजा जाएगा। इसके पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उन विदेशियों पर कोई केस तो नहीं चल रहा।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह सेंटर बालेगांव के तलोजा में स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स (SRPF) ग्रुप XI के ऑफिस के पास बनेगा। इसको बनने में करीब 1 साल का समय लग सकता है। स्पेशल ब्रांच-II विदेशी नागरिकों के डॉक्यूमेंट्स चैक करेगी और महाराष्ट्र एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) नोडल अधिकारी की भूमिका में काम करेंगे।
अधिकारी ने बताया कि ड्रग्स की सप्लाई में लगे विदेशी अपने पासपोर्ट और वीजा आदि के कागजात नष्ट कर देते हैं, जिससे उन्हें विदेश भेजने में परेशानी आती है। ये नागरिक कोशिश करते हैं कि उन्हें उनके देश नहीं भेजा जाए।
इसके पहले 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के तहत नवी मुंबई में अवैध प्रवासियों के लिए सेंटर बनाने की घोषणा की गई थी।
असम में 6 डिटेंशन सेंटर
कुछ साल पहले एक रिपोर्ट में बताया गया था कि असम के गोलापाड़ा में भारत का पहला डिटेंशन सेंटर बनाया जा रहा है। इसकी तस्वीरें भी सामने आई थीं। (फोटो- रॉयटर्स)
कुछ साल पहले एक रिपोर्ट में बताया गया था कि असम के गोलापाड़ा में भारत का पहला डिटेंशन सेंटर बनाया जा रहा है। इसकी तस्वीरें भी सामने आई थीं। (फोटो- रॉयटर्स)
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि असम में 6 डिटेंशन सेंटर हैं, जिनमें 900 से ज्यादा लोग रह रहे हैं। जनवरी 2019 में गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने यहां कम से कम एक डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए मैनुअल जारी किया था। 2009 के बाद से 4 बार राज्य सरकारों को ऐसे डिटेंशन सेंटर बनाने के निर्देश जारी हो चुके हैं।
डिटेंशन सेंटर क्या होते हैं
डिटेंशन सेंटर (हिरासत केंद्र) ऐसे ठिकाने होते हैं, जहां अवैध विदेशी नागरिकों को रखा जाता है। दि फॉरेनर्स एक्ट के सेक्शन 3(2)(सी) के तहत केंद्र सरकार को यह अधिकार है कि, वह किसी भी अवैध नागरिक को देश से बाहर निकाल सकती है। देश से बाहर करने की प्रॉसेस के दौरान ऐसे लोगों को डिटेंशन सेंटर में ही रखा जाता है।
दुनिया का पहला डिटेंशन सेंटर, पेरिस के पास बनाया गया 'बेसिले सैंट-एंटोनी' था
यूरोपियन इतिहासकारों की दृष्टि में दुनिया में डिंटेशन सेंटर का इतिहास करीब 600 साल पुराना है। 1417 में आज के पेरिस के पास बेसिले नामक जगह बनाई गई थी जिसमें फ्रांस के राजा अपने पड़ोसी देशों से आए अप्रवासियों और युद्धबंदियों को रखता था। इसे बेसिले सैंट-एंटोनी के नाम से भी जाना जाता है।
दिलचस्प बात यह है कि आठ टावरों वाले इस डिटेंशन को बनाने वाले वास्तुकार ह्यूगेज ऑब्रिअट को भी इसी जगह पर नजरबंद करके रखा गया था। बाद में इस सेंटर को एक जेल बना दिया गया था। विशाल किले की नजर आने वाले इस सेंटर में आठ टॉवरों के नाम थे- लॉ शैपेल, ट्रेसोर, कोमे, बिजिनरे, बेर्टाडिएरे, लिबर्टे, पुटिस और कॉइन।
सबसे ज्यादा सेंटर अमेरिका में
1850 में यूएस के कैलिफोर्निया में पहली जेल शुरू हुई, जिसका संचालन प्राइवेट मैनेजमेंट को दिया गया था।
1892 में दुनिया का पहला इमिग्रेशन डिटेंशन केंद्र 'एलिस आइलैंड' यूएस के न्यू जर्सी में खोला गया।
1910 में यूएस के कैलिफोर्निया में दूसरा इमिग्रेशन डिटेंशन केंद्र 'एंजल आइलैंड इमिग्रेशन स्टेशन' शुरू हुआ।
1970 में यूरोप का पहला डिटेंशन सेंटर 'हार्डमंडवर्थ डिटेंशन सेंटर' इंग्लैंड में शुरू हुआ।
1982 में साउथ अफ्रीका में देश का पहला इमिग्रेशन डिटेंशन सेंटर शुरू हुआ। पहले यहां जेल में ही इमिग्रेंट्स को रखा जाता था। अफ्रीका में इस तरह का यह पहला सेंटर था।
2002 में क्यूबा में अमेरिका द्वारा अमेरिकी सैनिक अड्डे ग्वांतानामो बे को स्थापित किया गया। इस जगह को पहले यूएस द्वारा इमिग्रेशन डिटेंशन साइट के तौर पर ही इस्तेमाल किया गया था।
2012 में इजरायल ने 10 हजार की क्षमता वाला होलोट डिटेंशन सेंटर शुरू किया।
2014 में यूएस में ओबामा प्रशासन ने फैमिली डिटेंशन को शुरू किया। नवंबर 2016 में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद वहां निजी जेल उद्योग के स्टॉक्स में बढ़ोत्तरी हुई। यूएस में ओबामा प्रशासन के दौरान 3 मिलियन से ज्यादा लोगों को देश से बाहर निकाला गया।
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