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महाराष्ट्र
नहीं रहे अहिंसा और भूदान सिद्धान्तों के कर्मयोगी धीरूभाई मेहता
Gulabi Jagat
22 April 2024 3:28 PM GMT
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मुम्बई: 88 साल की उम्र में गांधी विचारक, चार्टर्ड अकाउंटेंट और सामाजिक जगत में सात दशकों से सक्रिय श्री धीरू भाई मेहता का देहांत हो गया। गांधी-विनोबा विचार के संस्थानों के संरक्षक रहे श्री धीरू भाई मेहता ने सोमवार सुबह मुम्बई के नामदेव अस्पताल में अंतिम सांस ली। श्री मेहता की कल तबीयत बिगड़ने से उन्हें अस्पताल ले जाया गया था, जहां डाक्टरों के अथक परिश्रम के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। श्री धीरूभाई मेहता को विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण और सुशीला नय्यर जैसे महात्मा गांधी के उत्साही अनुयायियों के निकट संपर्क में रहने का सौभाग्य मिला। धीरूभाई मेहता पत्रकारिता के क्षेत्र में भी सक्रिय रहे, उनके 200 से अधिक आलेख पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए, जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल- द स्टीलमैन ऑफ इंडिया पर एक पुस्तक भी शामिल है। श्री धीरूभाई किसी भी राजनीतिक दल के प्रति पूर्वाग्रह के बिना सरकार और उसकी नीतियों के साथ-साथ विपक्ष के भी कट्टर आलोचक रहे, लेकिन दृढ़ता से इस बात की वकालत करते रहे कि गांधीवादी दर्शन भारत के विकास के लिए आदर्श मार्ग है। वे गुजराती समाचार पत्र जन्मभूमि समूह से भी जुडे रहे। धीरूभाई एस मेहता पेशेवर रूप से वित्त, निवेश, कराधान और कॉर्पाेरेट प्रबंधन में विशेषज्ञता के साथ एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में अपनी सेवाएं दीं। निदेशक और सलाहकार के रूप में कॉर्पाेरेट जगत के साथ उनका लंबा जुड़ाव रहा। उम्र के पचास वर्ष के पडाव तक पहुंचते पहुंचते उन्होंने अपने जीवन की दिशा बदल ली। और जीवन का अधिकांश समय स्वैच्छिक कार्यों शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और महिलाओं एवं बच्चों के उत्थान के कामों में समर्पित कर दिया।
वे वास्तव में गांधीवादी विचारों को अपने जीवन में अपनाते रहे और एक सच्चे विचारक के रूप में गांधीवादी मूल्यों का सक्रिय रूप से आजीवन पालन करते रहे। मेहता कस्तूरबा गांधी नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट, नवजीवन ट्रस्ट और गांधी मेमोरियल लेप्रोसी फाउंडेशन, मणिभवन गांधी संग्रहालय, मुंबई जैसे कई रचनात्मक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। साथ वे महात्मा गांधी संस्थान के अध्यक्ष, प्रतिष्ठित महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज सेवाग्राम (वर्धा), गुजरात विद्या पीठ, गांधी स्मारक निधि और गांधी शांति फाउंडेशन के ट्रस्टी के तौर पर अपनी सेवाएं दी। वे समाजसेवा के क्षेत्र में दिए जाने वाले सम्मानित जमना लाल बजाज पुरस्कार की चयन समिति से भी जुड़े रहे। उनका वर्धा के प्रतिष्ठित बजाज परिवार और जाजू परिवार से निकट का रिश्ता था। देश की अनेक गांधी विचारक रचनात्मक संस्थाओं ने धीरू भाई के निधन पर शोक व्यक्त किया है। गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, जस्टिस सत्य रंजन धर्माधिकारी बंबई, कस्तूबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. करूणाकर त्रिवेदी, पूर्व आयकर महानिदेशक डॉ. राकेश पालीवाल, हरिजन सेवक संघ उत्तर प्रदेश की अध्यक्षा मैम कुसुम बहन, तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के प्रो. श्याम सुंदर भाटिया, अंकितग्राम सेवाधाम, उज्जैन के अध्यक्ष सुधीर भाई गोयल, सर्व सेवा संघ सेवाग्राम के पूर्व अध्यक्ष सुगन बरंट, विनोबा विचार प्रवाह परिवार के रमेश भईया, सर्वाेदय प्रेस सर्विस- सप्रेस परिवार की ओर से संपादक राकेश दीवान और कुमार सिद्धार्थ ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि धीरूभाई मेहता के निधन से विशेष क्षति हुई है। उन्होंने कर्मयोग के मूल्यों को अपनाया और गांधीवादी सिद्धांतों को अपने जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बनाया। उनकी उपस्थिति कॉर्पाेरेट सेक्टर में भी सक्रिय रहीं और उन्होंने अपने व्यावसायिक क्षेत्र में अपनी प्रतिष्ठा बनाई। उनके जीवन और कार्य में एक वैचारिक प्रभाव हमेशा रहा है। धीरूभाई के देहांत से गांधी विचार परिवार ने विशिष्ठ व्यक्तित्व को खोया है, उनकी स्मृति को नमन।
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Gulabi Jagat
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