महाराष्ट्र

बीटेक के इन ब्रांच की कम हुई डिमांड, एआई और साइबर सिक्योरिटी छात्रों को पहली पसंद

SANTOSI TANDI
11 Sep 2023 12:18 PM GMT
बीटेक के इन ब्रांच की कम हुई डिमांड, एआई और साइबर सिक्योरिटी छात्रों को पहली पसंद
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सिक्योरिटी छात्रों को पहली पसंद
महाराष्ट्र :आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मशीन लर्निंग और साइबर सिक्योरिटी और कंप्यूटर साइंस छात्रों की पहली पसंद बने हैं. वहीं मैकेनिकल और सिविल इंजीनियरिंग जैसे ब्रांचों की डिमांड में अब गिरावट आ रही है. महाराष्ट्र के इंजीनियरिंग काॅलेजों में इस बार कुल 1.17 लाख से अधिक छात्रों ने एडमिशन लिया है, जो पिछले वर्ष से अधिक है.
नए जमाने की तकनीक जैसे एआई, एमएल और आईओटी सहित कंप्यूटर इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों की कुल 49,586 सीटों में से 44,517 सीटें भरी जा चुकी हैं. जबकि एआई-एमएल और एआई-डेटा साइंस की पेशकश करने वाले सुपर स्पेशलाइज्ड पाठ्यक्रमों में इस साल प्रवेश सत्र के अंत में कुल 9,642 सीटों में से 8,514 सीटें भर चुकी हैं.
मैकेनिकल इंजीनियरिंग में 50% सीटें खाली
महाराष्ट्र सीईटी सेल की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार मैकेनिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में कुल 23,193 सीटें हैं, जिनमें से 12,065 ही भरी जा सकी. वहीं मैकेनिकल इंजीनियरिंग में लगभग 50 प्रतिशत सीटें खाली हैं. सिविल इंजीनियरिंग में भी इस वर्ष 50 प्रतिशत से अधिक सीटें खाली हैं. सिविल इंजीनियरिंग में इस वर्ष प्रवेश के लिए 17,268 सीटें थी, लेकिन सिर्फ 7103 सीटों पर ही दाखिले हुए हैं. सिविल इंजीनियरिंग के संबद्ध पाठ्यक्रमों जैसे सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग, सिविल और इंफ्रास्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग और प्लानिंग में भी बहुत कम एडमिशन दर्ज किए गए. कुल 341 सीटों में से केवल 104 सीटें ही भरी गईं.
इन ब्रांचों में भी सीटें खाली
इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्युनिकेशन में कुल 18,806 सीटों में से 15,229 सीटें भरी गईं, जबकि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) में कुल 12,359 सीटों में से 11,565 छात्रों ने एडमिशन लिया. वहीं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में कुल 11,760 सीटों में से 7,152 सीटें पर दाखिले हुए.
नहीं भरी जा सकी 25 % से अधिक सीटें
इस बार कुल मिलाकर विभिन्न इंजीनियरिंग ब्रांचों के तहत उपलब्ध कुल 1,58,585 सीटों में से 1,17,585 पर एडमिशन हुआ है. जबकि यह शैक्षणिक वर्ष 2022-23 में केवल 1,09,499 दाखिले से कहीं अधिक है. इस शैक्षणिक वर्ष में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में 25 प्रतिशत से अधिक सीटें नहीं भरी जा सकी हैं
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