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महाराष्ट्र
सिटी को चाहिए स्मार्ट वेस्ट मैनेजमेंट, अंडरग्राउंड डस्टबिन की जरूरत, सेंसर तय करेगा जिम्मेदारी
Rani Sahu
29 Aug 2022 7:59 AM GMT

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वर्ष 2014 से ही केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में नागपुर शहर को स्मार्ट सिटी बनाने का काम शुरू है
नागपुर. वर्ष 2014 से ही केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में नागपुर शहर को स्मार्ट सिटी बनाने का काम शुरू है. हर तरफ सीमेंट की सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है, हर चौराहे पर सीसीटीवी कैमरे, कुछ भागों में पब्लिक वाई-फाई नजर आ रहे हैं लेकिन इन सबके बीच कचरा प्रबंधन को लेकर कोई स्मार्ट आइडिया नहीं है. शहर में जहां-तहां फैली गंदगी और खुली कचरा पेटियों को लेकर आज भी पुराना ढर्रा ही अपनाया जा रहा है. जिसमें फावड़े से टोकरियों में कचरा भरकर ट्रैक्टर ट्रॉली से डम्पिंग यार्ड ले जाया जाता है. समय की जरूरत है कि अब सिटी को स्मार्ट वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम भी दिया जाये. इसमें सेंसर युक्त अंडरग्राउंड डस्टबिन काफी कारगर साबित हो सकती है.
खुली गंदगी, बदबू से मिलेगी निजात
शहर के कई भागों में खुले कचरा घरों ने महानगर पालिका की सफाई व्यवस्था की पोल खोल दी है. इन खुली डस्टबिनों से बाहर फैलते कचरे पर ट्विटर, इंस्टाग्राम, वाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लोगों द्वारा मनपा का मजाक भी खूब बनाया जाता है. यदि इन खुली डस्टबिनों की जगह अंडरग्राउंड डस्टबिन लगा दी जाये तो कचरा जमीन के भीतर ही ढंका रहेगा. इसका सबसे बड़ा फायदा सड़कों के किनारे खुले में कचरा दिखना बंद हो जायेगा. साथ की गंदगी के कारण फैली सड़ांध और बदबू से लोगों को राहत भी मिलेगी.
बेलगांव, सूरत मॉडल से ली जा सकती है सीख
शहर में दुनियाभर के प्रयोग करने वाली मनपा स्मार्ट वेस्ट मैनेजमेंट चाहे तो बेलगांव और सूरत मॉडल से सीख ले सकती है. बेलगांव में एक से डेढ़ टन क्षमता वाले अंडरग्राउंड हाइड्रोलिक डस्टबिन लगाये जा रहे हैं. इसकी खास बात इसमें लगा सेंसर सिस्टम है जिसमें डस्टबिन 75 प्रतिशत कचरा भरने पर सबसे पहले स्थानीय स्वच्छता कर्मी को मोबाइल पर मैसेज आयेगा. 90 प्रतिशत कचरा भरने पर वार्ड पार्षद और कार्पोरेशन कमिश्नर को मैसेज आयेगा. वहीं 100 प्रतिशत कचरा भरने पर भी यदि डस्टबिन खाली नहीं किया गया तो संबंधित अधिकारी पर भारी-भरकम पेनल्टी ठोक दी जायेगी. ऐसा ही सिमस्ट सूरत कार्पोरेशन में भी अपनाया जा रहा है. जहां अभी तक 50 से ज्यादा अंडरग्राउंड हाइड्रोलिक डस्टबिन स्थापित की जा चुकी है. इनमें लगे सेंसर 70 प्रतिशत कचरा भरने पर सीधे कंट्रोल रूम को जानकारी पहुंच जाती है और कुछ ही देर में कचरा गाड़ी आकर डस्टबिन खाली कर देती है.
हर मौसम में काम आसान, बढ़ेगी जिम्मेदारी
इन अंडरग्राउंड डस्टबिन को पीपीपी मॉडल पर स्थापित किया जा सकता है. बारिश के दिनों में सिटी का कचरा प्रबंधन पूरी तरह से बिखर जाता है. जरा सी बारिश से खुली डस्टबिनों से कचरा बहकर सड़कों और लोगों के घर के सामने जमा हो जाता है. अंडरग्राउंड होने की वजह से बरसात के दिनों में भी कचरा प्रबंधन का काम आसान हो जायेगा. हालांकि अंडरग्राउंड डस्टबिन हर मौसम में काम आयेगी. सेंसर युक्त इन डस्टबिनों का सबसे अच्छा पहलू स्वच्छता को लेकर संबंधित कर्मचारी, अधिकारी और संबंधित वार्ड पार्षद की जिम्मेदारी को बढ़ा देगा. साथ ही कचरा उठाने वाली कम्पनियों के काम पर सीधी नजर भी रखी जा सकेगी.सोर्स-नवभारत.कॉम

Rani Sahu
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