महाराष्ट्र

छत्रपति शिवाजी पुराने आदर्श, नितिन गडकरी नए, भगत सिंह कोश्यारी के विवादित बोल

Rani Sahu
19 Nov 2022 12:29 PM GMT
छत्रपति शिवाजी पुराने आदर्श, नितिन गडकरी नए, भगत सिंह कोश्यारी के विवादित बोल
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छत्रपति शिवाजी पुराने आदर्श, नितिन गडकरी नए
मुंबई : सावरकर पर राहुल गांधी की टिप्पणी पर मचे सियासी घमासान के बीच महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) ने छत्रपति शिवाजी महाराज पर विवादित बयान दिया है।जानें, क्या कहा कोश्यारी ने
समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शनिवार को कहा कि अगर कोई आपसे पूछता है कि आपका आदर्श कौन है, तो आपको उसे खोजने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं है, वे आपको यहीं महाराष्ट्र में मिल जाएंगे। छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) अब एक पुरानी मूर्ति बन गए हैं, आप बाबा साहब अंबेडकर से लेकर नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) तक नए पा सकते हैं।
कोश्यारी पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सावरकर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की टिप्पणी के चौतरफा विरोध के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के छत्रपति शिवाजी महाराज पर विवादित बयान पर भी सियासत गरमा सकती है। कोश्यारी इससे पहले भी कई बार विवादित बयान दे चुके हैं।
जब कोश्यारी को मांफी मांगनी पड़ी
अगस्त, 2022 में महाराष्ट्र के राज्यपाल को माफी मांगनी पड़ गई थी। दरअसल, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मारवाड़ी समाज के कार्यक्रम में कहा था कि महाराष्ट्र से, खासतौर से मुंबई और ठाणो से गुजराती और राजस्थानी समाज के लोग दूर जाने का फैसला कर लें तो यहां का सारा पैसा खत्म हो जाएगा और मुंबई देश की आर्थिक राजधानी रह ही नहीं जाएगी। कोश्यारी का यह बयान गुजराती और राजस्थानी समाज के व्यावसायिक कौशल की तारीफ करने के लिए था, लेकिन शिवसेना ने राज्यपाल के बयान को राजनीतिक मुद्दा बना दिया था।
कोश्यारी ने यह कहकर मुसीबत मोल ले ली
महाराष्ट्र योजना आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष डा. रत्नाकर महाजन (Dr. Ratnakar Mahajan) नेतृत्व में तैयार इस रिपोर्ट में दूसरे राज्यों से आए लोगों के मुंबई की अर्थव्यवस्था में योगदान की चर्चा भी की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि अन्य राज्यों से आए लोगों ने मुंबई में ज्यादातर मेहनतवाले काम संभाले और मुंबई की अर्थव्यवस्था संभालने में मददगार साबित हुए। जब मुंबई के देश की आर्थिक राजधानी होने की चर्चा होती है तो यह भुलाया नहीं जा सकता कि सात जुलाई, 1854 को मुंबई में पहली काटन टेक्सटाइल मिल स्थापित करनेवाले एक पारसी उद्योगपति कावसजी नानाभाई डावर थे। इसके बाद तो मुंबई में छोटी-बड़ी करीब 130 कपड़ा मिलें स्थापित हुईं। इस इतिहास से भी मुंह नहीं चुराया जा सकता कि कोंकण और मराठवाड़ा से आए लाखों मराठी परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट भले 1982 में डा. दत्ता सामंत द्वारा करवाई गई हड़ताल के बाद आया हो, लेकिन कपड़ा मिलों पर यूनियन की दादागीरी 1960 में शिवसेना की यूनियन भारतीय कामगार सेना के नेतृत्व में ही शुरू हो गई थी। जबकि मुंबई को समृद्धि देने वाली इन कपड़ा मिलों के ज्यादातर मालिक बाद के दौर में वही गुजराती और राजस्थानी थे, जिनकी प्रशंसा में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कुछ शब्द कहकर मुसीबत मोल ले ली थी।

Source : Hamara Mahanagar

Rani Sahu

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